Natural Antibiotics | प्राकृतिक एंटीबायोटिक्स अपनाइए और रहिए स्वस्थ बिना साइड इफेक्ट की चिंता के
एंटीबायोटिक्स के नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं। जब कोई बीमारी गंभीर रूप लेने लगती है तो चिकित्सक उस पर काबू पाने के लिए एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह देते हैं। दरअसल एंटीबायोटिक्स का काम किसी भी बीमारी में संक्रमण बैक्टीरिया को मारना होता है। जब बीमारी को सिर्फ लक्षण दबाने वाली दवाओं से काबू नहीं किया जा सकता तो जल्दी आराम पहुंचाने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक देने का निर्णय लेते हैं। ये तेज़ी से असर कर रोगी को आराम पहुंचाते हैं।
हालांकि बहुत अधिक एंटीबायोटिक्स लेने से नुक्सान भी होता है और कई बार आधा इलाज कर इन्हें बीच में ही बंद कर दिया जाए तो ये आपके शरीर पर असर करना बंद कर सकती हैं। इन्हीं सब कारणों से परेशान होकर कई लोग अब प्राकृतिक एंटीबायोटिक्स की तरफ रुख कर रहे हैं। इनमें अच्छी बात ये हैं कि प्राकृतिक एंटीबायोटिक उपचार तो करते हैं पर साइड इफेक्ट कम होते हैं।
निम्नलिखित कुछ नेचुरल (प्राकृतिक) एंटीबायोटिक्स हैं जो दुनियाभर में इलाज के लिए उपयोग में लायी जाती हैं:
शहद
- शहद अपने कई औषधीय गुणों के लिए दवाओं में काम आता है।इसे घावों को ठीक करने, संक्रमण का इलाज करने और जलन को शांत करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। जानकार मानते हैं कि सर्जिकल घाव तक की ड्रेसिंग में शहद का उपयोग बेहतर घाव भरने को बढ़ावा दे सकता है और निशान पड़ने को कम कर सकता है। दरअसल शहद चिपचिपा और नम होता है, और यह अनूठा संयोजन घावों को भरने में मदद करता है, उन्हें गंदगी और दूषित पदार्थों से बचाता है, जबकि ऊतक की मरम्मत के लिए सही प्रकार के वातावरण को बढ़ावा देता है।शहद में कई ऐसे तत्व मौजूद हैं जो एंटीबायोटिक की तरह काम करते हैं:
- हाइड्रोजन पेरोक्साइड, जो बैक्टीरिया के विकास को रोक सकता है
- निम्न पीएच स्तर, जो बैक्टीरिया की प्रतिकृति को रोक सकता है जिससे संक्रमण हो सकता है।
- शहद एक ऐसा जीवाणुरोधी है जो एक नहीं कई बीमारियों को दूर कर सकता है।
लहसुन
लहसुन एक जाना माना जीवाणु रोधी है।साथ ही लहसुन संक्रमण को रोकने में भी मदद कर सकता है। यह यूटीआई जैसे रोग का कारण बनने वाले साल्मोनेला और ई. कोलाई के कारण होने वाले जीवाणु संक्रमण का सफलतापूर्वक इलाज करने में भी सक्षम है। लहसुन को कई रूपों में सेवन किया जा सकता है ।साथ ही इसे घावों पर भी लगाया जा सकता है।
लगाने से पहले ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि उसमें किसी तरह का दोष तो नहीं है। लहसुन ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है और शायद ही कभी एलर्जेनिक होता है। हालांकि, बड़ी मात्रा में लहसुन का सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशान हो सकता है । यदि आप ब्लड थिनर लेते हैं, तो लहसुन का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
ऑरिगानो एसेंशियल ऑयल
ऑरिगानो में भी असाधारण औषधीय गुण होते हैं। ऑरिगानो का एसेंशियल ऑयल साइनस संक्रमण और त्वचा के फंगल इंफेक्शन पर भी कारगर होता है।हालांकि इस तेल को खाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके उपयोग के लिए तेल की कुछ बूंदों को एक वाहक तेल जैसे बादाम, जैतून, या नारियल के तेल के साथ मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाना चाहिए। ऑरिगानो के तेल को डिफ्यूज़ कर के भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
थाइम आवश्यक तेल
आमतौर पर थाइम का इस्तेमाल उसकी सुगंध और स्वाद के कारण कई व्यंजनों में किया जाता है।इसकी गंध ही इसकी खास बात होती है जो अक्सर इसे प्राकृतिक घरेलू सफाई उत्पादों में उपयोग करने लायक बनाती है।थाइम में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो बैक्टीरिया को मारने की क्षमता रखते हैं।
थाइम स्टैफिलोकोकस और ई कोलाई बैक्टीरिया के साथ-साथ घरेलू सतहों पर अन्य सामान्य संक्रामक तत्वों के खिलाफ प्रभावी हो सकता है। हालांकि इसका उपयोग सिर्फ उपरी तौर पर ही किया जाना चाहिए।इसमें मौजूद यूजेनॉल ही इसे जीवाणुरोधी बनाता है। यदि आप थाइम एसेंशियल ऑयल का उपयोग करने जा रहे हैं, तो इसे वाहक तेल के साथ बहुत कम मात्रा में मिलाना चाहिए।हालांकि यदि आपको हाइपरथायरायडिज्म या हाई ब्लड प्रेशर है तो इसका उपयोग करने से बचें।
हल्दी
हल्दी एक जानी मानी एंटीबायोटिक है। हम इसे मसालों में प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं। हल्दी में करक्यूमिन नाम का एक शक्तिशाली सक्रिय तत्व होता है । हल्दी ना सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाती है बल्कि इसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी काफी प्रभावशाली होते हैं। करक्यूमिन ऐसे बैक्टीरिया के खिलाफ भी प्रभावी हो सकता है जो एमआरएसए के साथ-साथ ई कोलाई का कारण बनता है।
हल्दी में पीरियडोंटल संक्रमण और दांतों के संक्रमण में पाए जाने वाले रोगजनक बैक्टीरिया के खिलाफ कार्य करने की क्षमता भी होती है।बुखार या सर्दी होने पर अकसर घरों में हल्दी वाला दूध पीने की सलाह दी जाती है ।इससे ना सिर्फ गर्माहट मिलती है बल्कि जुकाम बुखार का कारण बनने वाले बैक्टीरिया भी खत्म होते हैं। इसके अलावा घाव होने पर या चोट लगने के बाद सूजन की स्थिति में भी हल्दी लगाकर पट्टी बांधने से लाभ मिल सकता है।
अदरक
अदरक एक एंटी बायोटिक के रूप में बहुत प्रभावशाली है। एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक के रूप में ये बैक्टीरिया के कई प्रकार से लड़ने में सक्षम है। सर्दी ज़ुकाम ,गले के संक्रमण इत्यादि में अदरक का उपयोग कर के लक्षणों पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।
लौंग
मसालों में उपयोग होने वाले प्रमुख मसाले के तौर पर लौंग काफी लोकप्रिय है। पर अकसर दांतों के दर्द में हमने लौंग का इस्तेमाल करने की बात सुनी औऱ आज़मायी भी है। आयुर्वेद में पारंपरिक रूप से दंत चिकित्सा प्रक्रियाओं में लौंग का उपयोग किया जाता रहा है। गले के संक्रमण में लौंग चबाने से आराम मिल सकता है।