निकट दृष्टिदोष होने के कारण और उसके उपचार
हमारे समाज में लगातार हो रहे तरह-तरह के गैजेट्स के चलन और जंक फूड्स की बढ़ती लोकप्रियता से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. इसकी वजह से लोगों को मानसिक और शारीरिक विकारों का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि हमारी आंखें भी सुरक्षित नहीं रह गई हैं|
इन चीजों का आँख़ों पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की वजह से लोग निकट दृष्टिदोष और दूर दृष्टिदोष जैसी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. आज अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको निकट दृष्टिदोष के विषय में विस्तार से बताएंगे। साथ ही आपको इसके लक्षणों और उपचार की जानकारी भी देंगे।
क्या होती है निकट दृष्टिदोष बीमारी
निकट दृष्टिदोष को चिकित्सीय भाषा में मायोपिया कहा जाता है. इस बीमारी में दूर की चीजें या वस्तुएं स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं. हालांकि पास की वस्तुओं को देखने में कोई परेशानी नहीं होती है. इस निकट दृष्टिदोष की समस्या बढ़ने पर मोतियाबिंद या ग्लूकोमा जैसी गंभीर समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है. केवल इतना ही नहीं इससे दृष्टिहीनता का ख़तरा भी रहता हैं. इसलिए समय रहते ही इस बीमारी का इलाज कराना जरुरी होता है.
कब होता है निकट दृष्टिदोष
निकट दृष्टिदोष तब होता है जब आंख की पुतली बहुत लंबी हो जाती है या कार्निया (आंखों की सबसे बाहरी सुरक्षात्मक परत) की वक्रता बहुत बढ़ जाती है। इससे जो रोशनी आंखों में प्रवेश करती है वो ठीक प्रकार से फोकस नहीं होती है, जिससे प्रतिबिंब रेटिना के थोड़ा आगे फोकस होते हैं। इससे नज़र धुंधली हो जाती है और दूर की वस्तुएं साफ़ नहीं दिखाई देती हैं. आँखों की जांच कराने से इस तरह की बीमारी की पुष्टि की जा सकती है. चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस या अपवर्तक सर्जरी के साथ इस समस्या का समाधान भी जा सकता है.
बच्चों को क्यों ज्यादा होती है निकट दृष्टिदोष की समस्या
चूंकि छोटे बच्चों की आँखें विकसित हो रही होती हैं, इसलिए उनमें निकट दृष्टिदोष की समस्या तेजी से बढ़ने का ख़तरा ज्यादा होता है. दरअसल, आंखों का आकार बढ़ने से कार्निया और रेटिना में तेज खिंचाव हो सकता है, जिसकी वजह से यह समस्या उत्पन्न हो सकती है. हालांकि, निकट दृष्टिदोष से पीड़ित बच्चों की उम्र 18 वर्ष होने तक उनकी दृष्टि स्थिर हो जाती है. एक अध्ययन के अनुसार, भारत से ऐसे 17% बच्चे निकट दृष्टिदोष से पीड़ित हैं जिनकी उम्र 5 से 15 वर्ष के बीच में हैं.
निकट दृष्टिदोष के लक्षण
अगर आपको निम्नलिखित तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो यह निकट दृष्टिदोष के संकेत हैं
- दूर की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई न देती हों
- दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देखने के लिए आँखें तिरछी करनी पड़ती हो या पलकों को आंशिक रूप से बंद करना पड़ता हो.
- सिर में दर्द रहता हो
- वस्तुओं को देखने के लिए आंख पर जोर देना पड़ता हो
- बच्चों को कक्षा में व्हाइट बोर्ड या स्क्रीन प्रोजेक्शन पर चीजों को देखने में कठिनाई हो रही हो.
- बच्चों का बार-बार आँखें मसलना
- वयस्कों को सड़क के संकेतों या स्टोर में संकेतों को पढ़ने में कठिनाई होना
- कम रोशनी में वस्तुएं धुंधली दिखाई देना
- रात के समय ड्राइविंग में परेशानी होना, भले ही दिन के उजाले में स्पष्ट रूप से देखते हों। इस स्थिति को रात्रि निकट दृष्टिदोष कहा जाता है।
अगर आप उपर्युक्त में से किसी भी समस्या से पीड़ित हों तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए और आँखों की जांच करानी चाहिए।
निकट दृष्टि दोष होने के मुख्य कारण
विश्वभर में निकट दृष्टि दोष की समस्या से प्रभावित होने के सबसे प्रमुख कारण हैं- अनुवांशिक कारण, पर्यावर्णीय स्थितियां और जीवनशैली। दरअसल, निकट दृष्टिदोष परिवार में चलता है। मतलब अगर माता या पिता दोनों में से किसी एक को या फिर दोनों को निकट दृष्टिदोष की समस्या है तो बेटे में भी इस समस्या के होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा टीवी, कम्प्युटर, मोबाइल या किसी भी प्रकार के स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। किताबों या स्क्रीन से आवश्यक दूरी बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि ऐसा न करने पर भी इस समस्या से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि प्रकृतिक रोशनी में कम समय बिताने से भी निकट दृष्टिदोष होने का खतरा रहता है।
उपचार
निकट दृष्टिदोष से पीड़ित लोगों का दो तरह से उपचार किया जा सकता है- पहला सर्जिकल और दूसरा नॉन सर्जिकल
सर्जिकल- इसमें आँखों की सर्जरी करके निकट दृष्टिदोष की समस्या खत्म की जा सकती है. इस सर्जरी को रिफ्रेक्टिव सर्जरी कहते हैं। इस सर्जरी के बाद चश्मों और कांटेक्ट लेंसों की जरूरत या तो नहीं पड़ती या फिर कम पड़ती है. इस सर्जरी के दौरान डॉक्टर कार्निया को पुनः आकार देने के लिए लेज़र बीम का इस्तेमाल करते हैं। इससे निकट दृष्टिदोष में काफी सुधार आ जाता है। कई लोगों को सर्जरी के बाद चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की जरुरत नहीं पड़ती। हालांकि कुछ लोगों को इस सर्जरी के बाद भी इनकी जरूरत पड़ सकती है। रिफ्रेक्टिव सर्जरी की सलाह तब तक नहीं दी जाती जब तक कि आपके लेंस का नंबर स्थिर नहीं हो जाता।
नॉन सर्जिकल- निकट दृष्टिदोष के नान-सर्जिकल उपचार में नेगेटिव नंबर के चश्मे या कांटेक्ट लेंसों की आवश्यकता पड़ती है, जिससे इस समस्या का निवारण हो जाता है। इसमें नंबर जितना अधिक होता है आपकी समस्या भी उतनी ही गंभीर होती है।
- चश्में- इसे सबसे सामान्य और सुरक्षित तरीका माना जाता है. इससे दृष्टि पुनः सामान्य और तेज हो जाती है. इसमें कई प्रकार के आई ग्लास लेंसों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे- सिंगल विज़न, बाइ-फोकल्स, ट्राय-फोकल्स और प्रोग्रेसिव मल्टी-फोकल।
- कांटेक्ट लेंसेस- कई लोग चश्मा लगाने से कतराते हैं. ऐसे लोग अधिकांशतः कांटेक्ट लेंस का इस्तेमाल करते हैं. इस लेंस को सीधे आँखों पर लगाया जाता है। इसे बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है और इनकी डिजाइनें भी अलग-अलग होती हैं, जिनमें मुलायम और कठोर, टोरिक और मल्टी-फोकल डिजाइन्स सम्मिलित हैं।
निकट दृष्टिदोष के रोकथाम के तरीके
- नियमित अंतराल पर आँखों की जांच कराते रहना चाहिए।
- डायबिटीज और उच्च रक्तदाब की समस्या भी निकट दृष्टिदोष का कारण हो सकता है. इस वजह से इन बीमारियों का इलाज जरूरी है।
- आँखों को सूर्य की पैरा-बैंगनी किरणों से बचाना चाहिए, इसलिए धुप में निकलते समय गॉगल्स का इस्तेमाल करना चाहिए।
- हरी सब्जियां, फलों और मछली का सेवन भी आँखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है.
- लगातार पढ़ाई करने या स्क्रीन के सामने ज्यादा देर तक बैठने से की बचना चाहिए, क्योंकि यह भी आँखों पर गलत असर डालता है, इसलिए ऐसा करते समय ब्रेक लेना जरूरी है.
- धूम्रपान भी आँखों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है इसलिए इससे बचना चाहिए
- कम रोशनी की बजाय अच्छी रोशनी में पढ़ाई करनी चाहिए।
- किताबो और स्क्रीन का इस्तेमाल उचित दूरी से करना चाहिए।