Nephrotic Syndrome Causes, Symptoms And Treatment In Hindi - नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण, कारण और उपचार
नेफ्रोटिक सिंड्रोम आम किडनी रोगों में से एक या रोगों का समूह कहा जा सकता है, इसमें किसी भी आयु समूह के शरीर पर सूजन होना इसके लक्षणों में से एक है. साथ ही इसमें पेशाब के दौरान प्रोटीन मात्रा का अधिक निकलना, रक्त में प्रोटीन की कमी, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर और शरीर में सूजन इस बीमारी के लक्षणों में से एक हैं. लेकिन अधिकत्तर मामलों में देखा जाता है कि यह रोग बच्चों को अपनी पकड़ में ले लेता है. हालांकि, उचित उपचार से इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
नेफ्रोटिक रोग के दुष्प्रभाव
अगर आसान भाषा में समझने की कोशिश करें, तो यह कहा जा सकता है कि किडनी शरीर में छलनी का काम करती है. इसके द्वारा शरीर की अनावश्यक पदार्थ अतिरिक्त पानी पेशाब द्वारा बाहर निकल जाता है.
नेफ्रोटिक रोग में किडनी की छलनी जैसे छेद बड़े हो जाने के कारण अतिरिक्त पानी और उत्सर्जी पदार्थों के साथ-साथ शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन भी पेशाब के साथ निकल जाता है. जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में सूजन आने लगती है.
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण
इस रोग को प्राथमिक या इडीयोपैथिक नेफ्रोटिक सिंड्रोम भी कहा जाता हैं. इस रोग के होने का कोई ठोस कारण नहीं होता है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि श्वेतकणों में लिम्फोसाइट्स के कार्य की खामी के कारण यह रोग होता है. आहार में परिवर्तन या दवाइँ को इस रोग के लिए जिम्मेदार मानना बिल्कुल गलत है. इस बीमारी के 90% मरीज बच्चे होते हैं जिनमें नेफ्रोटिक रोग का कोई निश्चित कारण नहीं मिल पाता है.
वयस्कों की बात करें, तो नेफ्रोटिक सिंड्रोम के 10% से भी कम मामलों में इसकी वजह अलग-अलग बीमारियां या कारण हो सकता है. जैसे संक्रमण, किसी दवाई से हुआ नुकसान कैंसर, वंशानुगत रोग, मधुमेह, एस. एल. ई. और एमाइलॉयडोसिस आदि में यह सिंड्रोम उपरोक्त बीमारियों के कारण हो सकता है.
नेफ्रोटिक रोग के मुख्य लक्षण :
- दो से छः वर्ष के बच्चों में यह रोग मुख्यत दिखाई देता है. अन्य उम्र के व्यक्तियों में इस रोग की संख्या बच्चों की तुलना में बहुत कम दिखाई देती है.
- आमतौर पर इस रोग की शुरुआत बुखार और खाँसी के बाद होती है.
- शुरुआती लक्षणों में आँखों के नीचे एवं चेहरे पर सूजन दिखाई देती है.
- आँखों पर सूजन होने के कारण कई बार मरीज सबसे पहले आँख के डॉक्टर के पास जाँच के लिए जाते हैं.
- जब रोगी नींद से सुबह उठते है, तब सूजन ज्यादा दिखाई देती है. यह इस रोग की पहचान है.
- हालांकि यह सूजन दिन के बढ़ने के साथ धीरे-धीरे कम होने लगती है और शाम तक बिलकुल कम हो जाती है.
- रोग के बढ़ने पर पेट फूल जाता है, पेशाब कम होता है, पुरे शरीर में सूजन आने लगती है और वजन बड़ जाता है.
- कई बार पेशाब में झाग आने और जिस जगह पर पेशाब किया हो, वहाँ सफेद दाग दिखाई देने की शिकायत होती है.
नेफ्रोटिक रोग का इलाज :
- सबसे पहले जरूरी है कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम का निदान करना और प्रयोगशाला जांच से इसकी पुष्टि करना है.
- इलाज के दौरान सामान्य और स्वस्थ आहार लेने की सलाह दी जाती है.
- डाइट में रोगी को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन दें.
- अगर कोई किडनी रोग है, तो प्रोटीन की मात्रा को सीमित रखें. रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए डाइट में फैट का सेवन कम करें.
- उपचार शुरू करने से पहले बच्चे सुनिश्चित करें कि कही बच्चे को पहले से कोई इन्फेक्शन या तकलीफ न हो, ऐसे संक्रमण पर नियंत्रण स्थापित करना बहुत ही आवश्यक है.
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को सर्दी, बुखार एवं अन्य प्रकार के संक्रमण होने की संभावना अधिक रहती है.
- इलाज के दौरान इन्फेक्शन होने से रोग बढ़ सकता है. इसलिए उपचार के दौरान संक्रमण न हो इसके लिए पूरी सावधानी रखना जरूरी होता है.