Obsessive-Compulsive Disorder (जुनूनी बाध्यकारी विकार)
इस बीमारी में obsession और Compulsion के तोर में अलग अलग लक्षण पाये जाते हैं। इनके चलते व्यक्ति की निजी और रोजमर्रा की जन्दगी प्रभावित हो जाती है। यह बीमारी लगभग २० साल की उम्रके आस पास आती है। लगभग 2 से 3% जनसँख्या इस बीमारी से प्रभावित है। एक बार आने पर 85% लोगों में ये बीमारी लगातार बनी रहती है।
Obsession की परिभाषा
इसमें कुछ विचार, कल्पना, चित्र, आवेग और भावनायें, जो कि ना चाहते हुए भी बार–बार आते रहते हैं और वो इतने दखलकारी होते हैं कि फिर उनकी वजह से घबराहट शुरू हो जाती है । जैसे गन्दगी काविचार बार बार आना।
Compulsion की परिभाषा
- ये वो सारी क्रियाएँ जो कि Obsession को या घबराहट को कम करने के लिए व्यक्ति बार बार करते हैं।
- लोग ऐसा घबराहट को कम करने के लिए करते हैं लेकिन इससे हर बार घभराहट कम हो ऐसा जरुरीनहीं है और कई बार तो उल्टा ज्यादा बढ़ जाती है।
- जैसे कि हाथ गंदे होने का विचार बार बार आता रहता है और उसके बाद जब तक व्यक्ति हाथ न धोये तो उसकी घबराहट बढ़ती रहती है और उसे हाथधोना ही पडता है,
- यहाँ बार बार हाथ धोना ही Compulsion है।
Obsession के लक्षण
- ये बार बार आते और दखलकारी होते हैं।
- तर्कहीन एवं अर्थहीन होते हैं।
- इच्छा के विरुद्ध
- जो बिलकुल अच्छे नहीं लगते।
Common obsession
- गन्दगी का विचार आना
- मनोविकारी शक
- चीजों का ठीक से व्यवस्थित न लगना
- सेक्सुअल विचारों का बार बार आना
- खुद को नुकसान पहुँचाने का मन करना और
- कोई विचार, कल्पना, चित्र, आवेग और भावनायें जो इच्छा के विरुद्ध एवं बार बार आये
Common compulsion:
- बार बार हाथ एवं सामान जैसे कपडे, फर्श साफ करना
- बार जाँच (Check) करना
- चीजों और सामान को व्यवस्थित करना
घर में न काम आने वाले सामान को इकटद्ठा कर लेना
- इस बीमारी की शुरुआत धीरे धीरे होती है और समय के साथ बीमारी के लक्षण बढ़ जाते हैं। उदहारण के लिए जैसे कि किसी को गन्दगी का विचार का आना।किसी भी वास्तु या चीज को छूने पे ऐसा लगनाकी हाथ गंदे हो गए हैं या किसी के द्वारा छूने पर ऐसा लगना कि वस्तु या सामान गन्दा हो गया है।
- ये विचार आते ही सफाई का ख्याल (हाथ धोना,कपडे या बेडशीट धोना औरपोचा मारना ) आना शुरु होजाता है और जब तक ऐसा नहीं करतेहैं ये विचार निकलता ही नहीं है
- घबराहट शुरु हो जाती है।
- धीरे धीरे इन विचारों की आवर्ती बढ़ने लग जाती है दिन का बहुत सारा समय सफाई, नहाने व धोने में हीनिकल जाता है जिसके चलते बाकि काम बाकि रह जाते है।
- जैसे जैसे बीमारी बढ़ती जाती है उसके साथ उदासी के लक्षण आने लग जाते है जैसे चिडचिडापन व गुस्से का आना, मन का उदास रहना, किसीकाम में मन का नहीं लगना
- नींद कम आना और बहुत ज्यादा बढ़ने पर आत्महत्या के विचार आने भी शुरु हो जाते हैं।
ऐसे में क्या करें ??
जैसे ही ये लक्षण आने शुरु होते हैं, तुरंत मनोचिकिस्तक के यहाँ जाएँ क्योंकी आप जितना जल्दी जायेगें बीमारी के ठीक होने की
उम्मीद उतनी ही ज्यादा होती है।
फिर भी ज्यादातर लोग सालोँ तकमनोचिकिस्तक के यहाँ नहीं जाते हैं और जब बीमारी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तब मनोचिकिस्तक के यहाँ पहुँचते हैं।
इस बीमारी के लिए दवा व थेरेपी दोनों ही काम करती हैं जो की बीमार व्यक्ति व मनोचिकिस्तक के सामूहिक फैसले पर निर्भर करता है की कौन सा इलाज शुरु करना है।