ओम का अर्थ, महत्व, उच्चारण, जप करने का तरीका और फायदे
ओम (ॐ) शब्द की ध्वनि को ब्राह्मांड की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी ध्वनियों में से एक माना जाता है। भारत के ऋषि मुनियों से लेकर सामान्य लोगों तक सभी सदियों, शताब्दियों से इसका जप कर रहे हैं। यह वैज्ञानिक शोध में प्रमाणित हो चुका है कि ओम की ध्वनि वातावरण और किसी भी व्यक्ति के शरीर को कई सकारात्मक तरीके से प्रभावित करती है। इस लेख के जरिए हम ओम शब्द का अर्थ, उसका महत्व, उच्चारण, जप करने का तरीका और फायदे पर प्रकाश ड़ालेंगे।
ओम (ॐ) का अर्थ क्या होता है
ओम या ऊं एक पवित्र ध्वनि है जिसे कई प्राचीन दार्शनिक ग्रंथों द्वारा ब्रह्मांड की ध्वनि माना जाता है।महर्षि पातंलजि के योग सूत्र के मुताबिक ओम शब्द है वो बीज है जिससे दुनिया की सारी ध्वनियां और शब्दों का निर्माण हुआ है। यानी ओम शब्द का अर्थ सृजन से है। संस्कृत में, ओम को प्रणव कहा जाता है, जिसका अर्थ है गुंजन, और इसे असीमित या शाश्वत ध्वनि माना जाता है। यद्यपि यह शब्द भारतीय संस्कृति, बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और जैन धर्म से जुड़ा हुआ है, ओम जप एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो संस्कृति और धर्म से परे है और इसमें भगवान या सृष्टिकर्ता की सभी संभावित परिभाषाएं और व्याख्याएं शामिल हैं।
ओम (ऊँ) का महत्व
आपके लिए ओम शब्द का जाप करने का बहुत बड़ा महत्व है। ओम की ध्वनि व्यक्ति के आत्मा में गहरायी से पहुंचती है जिससे उसके चेतना पर एक अद्भुत प्रभाव पड़ता है। ओइम शब्द की प्रतिध्वनि से योग करने वालेको शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शांति मिलती है। इस पर कई अनुसंधान हो चुके हैं। प्रयोगों के दौरान एमआरआई की रिपोर्ट से साफ है कि ओम या ऊं शब्द सिर्फ सुनने से दिमाग के दाएं और बांए हिस्से दोनों पर प्रभावपडता है, दोनोहिस्से सक्रिय होते हैं। जबकि कोई क्रिया या ध्वनि बिरले ही दोनों हिस्सों को सक्रिय कर पाती है। यही वजह है कि ओम् शब्द सुनने या उच्चारित करने से भावनात्मक शांति औरआध्यात्मिकता का अनुभव होने लगता है। ऊं की ध्वनि यौगिक परिभाषा के मुताबिक अ उ या ओ और म व्यंजनों से बनी है जिसकी प्रतिध्वनि से पाचन क्रिया,हार्ट-लंग- लिवरफंक्शन में सहायक है और इससे दिमागी सुकून मिलता है।
ओम जाप करने का तरीका
ओम शब्द के जप को लेकर कोई विशेष मुद्रा की बाध्यता नहीं हैं। जब आपका मन और शरीर स्वच्छ हो तो आप इस जप कैसे भी कर सकते हैं। वैसे योग में बताया जाता है कि शांत मन से जमीन पर कमलासन,वज्रासन या किसी भी आरामदायक मुद्रा में बैठें। इतना जरुरी है कि कमर, पीठ, सिर और गर्दन को बिलुकल सीधा रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को जोड़कर, या फिर उसे अपनी दोनों जाघों पर रखकर, दोनों हाथों को गोद में भी रख या घुटनों पर रख सकते हैं। इसका जप करने के लिए आंख बंद कर लें। यदि आपको लगता है कि आप आंख खोलकर एकाग्र कर सकते हैं तो आप खोल भी सकते हैं। मुंह को बंद रखें और प्राकृतिक रूप से सांस लें। सांस नाक से ही लें। इसके लिए मांसपेशियों पर कोई दबाव न दें और नाक के अंदर जाती और आती हवा का शांत मन से अवलोकन करें।
ओम का ध्यान और ॐ का उच्चारण कैसे करें
आप आराम से किसी भी आसन में बैठ जाएं। ऐसे में पद्मासन, कमलासन, वज्रासन, सुखासन या सिद्धासन को सबसे बेहतर योग आसन माना जाता है। आप शांत माहौल और शांत चित दोनों की तलाश करें। ओम का उच्चारण अपने अंतकरण यानी शरीर की गहराई से करना चाहिए। जब आप इस तरह से उच्चारण करेंगे तो आपको ओम में ओ अक्षर की ध्वनि का कंपन नाभि में महसूस किया जा सकता है। वहीं ऊ और म अक्षर की ध्वनि आपने माथे और गले में महसूस होती है। ओम शब्द की ध्वनि का उच्चारण ऐसे करना चाहिए कि ओ अक्षर की ध्वनि का कंपन नाभि ऊ या ई अक्षर की ध्वनि का कंपन माथे और म अक्षर की ध्वनि का कंपन गले में महसूस हो। इस शब्द का उच्चारण तेज स्वर में किया जाना चाहिए। इसे आप 2 से पांच बार तक दोहरा सकते हैं। इस जाप को अंतिम बार करने के बाद आप आंख बंद करके या एकाग्र होकर बैठे रहें। पूरे शरीर में इसकी प्रतिध्वनि महसूस करें। इसके बाद अगर आंख बंद की है तो धीरे धीरे आंख खोलें।
ओम जाप करने के फायदे
ओम के जप के असंख्य लाभ हैं। कुछ सबसे महत्वपूर्ण लाभों पर एक नज़र डालें:
मेडिटेशन का अचूक हथियार
आम तौ पर ओम शब्द को धर्म से जोड़ दिया जात है पर ये शब्द धर्मों के बंधन से कहीं बड़ा है। ओम या ॐ शब्द का जाप ध्यान को बढ़ता है। इसके जाप को मेडिटेशन का आसान रास्त माना जाता है। आइये जानते हैं कि ओम का जाप करने से क्या फायदे होते हैं और ओम जप के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं।
मन शांत होता है
यह वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित हो चुका है कि ओम शब्द की ध्वनि ही बिरले ऐसी ध्वनि है जो दिमाग के दोनों हिस्सों को शांत कर पाती है। यही वजह है कि ओम् शब्द सुनने या उच्चारित करने से भावनात्मक शांति औरआध्यात्मिकता का अनुभव होने लगता है। ऐसे में कभी नकारात्मक ख्याल आएं तो ओम शब्द का जाप बहुत लाभदायक माना जाता है।
साइनस माइग्रेन से मुक्ति में सहायक
ओम शब्द का उच्चारण करने से साइनस माइग्रेन जैसीबीमारियों से इसके मुक्ति मिल सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ओम में जो आ के बाद ई या उ शब्द का कंपन होता है वो माथे पर महसूस किया जाता है जो माइग्रेन के इलाज में सहायक है।
थायरायड के इलाज मे सहायक
ओम शब्द में जब हम म अक्षर से इसे खत्म करते हैं तो उसकी ध्वनि का कंपन गले में महसूस किया जाता है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ओम का उच्चारण करने से जो गले में कंपन होता है उससे थायराइड ग्लैंड एक्टिव होता है और थायराइड से मुक्ति मिलने में भी यह सहायक होता है।
बेतहर होता है शरीर और दिमाग का कोआर्डिनेशन
ओम् शब्द से हमारे दिमाग के सप्लीमेंटरी मोटर एरिया, सुपीरियर टेंपोरल गायरस,इंफीरियर फ्रंटलगायरस और डोरसो लेटरल प्री फ्रंटल कार्टेक्स पर असर पड़ता है जिससे हमारे शरीर और दिमाग में समन्वय बढता है, तारतम्यता आती है हमारीसुनने की शक्ति बढती है।
एकाग्रता में वृद्धि
माना जाता है कि ओम शब्द का जप अगर शांतचित होकर किया जाय तो एकाग्रता बढती है। ओम शब्द की प्रतिध्वनि मन को शांत कर भटकने से रोकती है और यही वजह है कि एकाग्रता पर इसका असर पड़ता है।
इन फायदों के अलावा विशेषज्ञों का दावा है कि ओम शब्द का जाप करने से किसी बी व्यक्ति को साफ उच्चारण करने में मदद मिलती है। इसके अलावा एकाग्रता, ध्यान के लिए यह अचूक है।