Peppermint Benefits - पुदीने के फायदे
पुदीना लोकप्रिय औषधियों में से एक है. इसका इस्तेमाल हम कई तरह से करते हैं. गर्मी के दिनों में बनने वाले पेय पदार्थों या पेट की गडबडियों में इसके इस्तेमाल से सभी लोग परिचित हैं. पुदीने को चूइंग-गम, कैंडी, टूथपेस्ट और माउथवॉश आदि में स्वाद लाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा पुदीने का इस्तेमाल आप पत्ते, तेल, चाय आदि के रूप में कर सकते हैं. इसमें मौजूद मेन्थॉल से हमारा शरीर और मन, ठंडा और शांत रहता है. यह मैंगनीज, तांबा और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत होने के साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीवायरल आदि गुणों से भी युक्त होता है. आइए पुदीना के फायदे को जानें.
1. मांसपेशियों के दर्द में लाभकारी
पुदीने मांसपेशियों में हो रहे दर्द से राहत दिलाने में सहायक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है. यह मांसपेशियों में रक्त-प्रवाह को बढ़ा दर्द को कम करता है. मेंथोल, पुदीने के आवश्यक तत्वों में से एक है जो मांसपेशियों में हो रही सूजन को शांत करने में सक्षम है.
2. उबकाई को कम
पुदीना पाचन क्रिया के लिए आवश्यक एन्ज़ाइम्स को सक्रिय करता है, जिससे उबकाई काफी हद तक कम हो जाती है. इसके लिए पुदीने से बनी हुई गर्म चाय को धीरे-धीरे पियें. आप चाहें तो पुदीने की कैंडी भी खा सकते हैं. या फिर पुदीने के तेल की कुछ बूंदें एक रुमाल पर गिरायें और उसे सूंघ लें.
3. बालों के विकास को बढ़ावा
पुदीना आपके बालों के विकास को बढ़ावा देता है और रुसी का भी जमकर विरोध करता है. यह सिर की त्वचा के पी.एच. स्तर को भी संतुलन में रखता है. पुदीने के तेल की कुछ बूँदें जैतून के तेल, नारियल तेल या अपनी पसंद के अन्य तेल में मिलाकर अपने बालों और सिर की मालिश करें. फिर कम से कम 45 मिनट के बाद अपने बालों को शैम्पू से धोएं. इस प्रक्रिया को हर सप्ताह एक या दो बार दोहराएं.
4. इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम का उपचार
पुदीना पेट दर्द, ब्लोटिंग इत्यादि इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के लक्षणों से राहत दिलाने में सक्षम होता है. इसके लिए रोजाना दिन में कई बार पुदीने की चाय पियें. डॉक्टर से सलाह लेने के बाद आप दिन में दो बार एक महीने के लिए पुदीने के कैप्सूल का भी सेवन कर सकते हैं.
5. चिंता-मुक्त
पुदीने की स्फूर्तिदायक महक आपको तनाव से तो मुक्त कराता ही है परंतु साथ ही में यह आपकी मानसिक थकान को भी दूर करता है. एक रुमाल पर पुदीने के तेल की कुछ बुँदे गिराकर उसकी मनोहर महक को सूँघ कर अच्छा महसूस करें. यह आपके मस्तिष्क को तरो-ताज़ा कर देता है और आपके तनाव को कम कर देता है.
6. मौखिक स्वास्थ्य के लिए
पुदीने के जीवाणुरोधी गुण, मुँह में जीवाणुओं के विकास को रोकते हैं और दांतो की सड़न एवं मसूढ़े की बीमारी से बचाव करते हैं. इसके अलावा यह आपकी सांस को भी तरो-ताजा कर देता है. रोजाना चार-पाँच पुदीने की पत्तियां चबाएं.
7. पाचन क्रिया को उत्तेजित
पुदीना पेट की माशपेशियों को रिलैक्स करने में मदद करता है, पित्त रस के प्रवाह को बढ़ाता है और समग्र पाचन क्रिया में सुधार लाता है. यह पाचन क्रिया को उत्तेजित करने के लिए पाचक एन्ज़ाइम्स के उत्पादन को बढ़ावा देता है. अपच का उपचार करने के लिए, एक गिलास गर्म पानी में पुदीने के तेल की कुछ बुँदे डालें और खाना खाने के बाद इसे पी लें.
8. सिर दर्द से राहत
पुदीना माइग्रेन एवं तनाव संबंधित सिर दर्द के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसमें कुछ ख़ास एनलजेसिक प्रभाव होते हैं जो दर्द को कम करने में सक्षम होते हैं. यह रक्त-प्रवाह में भी सुधार लाता है. पुदीने के तेल की मनोहर सुगंध का स्मरण-शक्ति एवं एकाग्रता पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके लिए जोजोबा के तेल, जैतून के तेल या फिर किसी भी तेल में तीन बूँद पुदीने का तेल मिलाएं और अपने गर्दन के पिछले हिस्से और कनपटी पर लगाएं.
9. मुहांसों के लिए
पुदीने में पाया जाने वाला प्रबल एंटी-इंफ्लेमेटरी, जीवाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण इसे मुँहासों से लड़ने के लिए काबिल बनाता है. यह सीबम के उत्पादन को कम करने में मदद करता है. इस जड़ी बूटी को खुजली और संक्रमित त्वचा को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. मुहांसों को जड़ से मिटाने के लिए पुदीने के ताज़ा निकाले हुए रस को अपनी त्वचा पर रगडें.
10. अस्थमा से बचाव
पुदीना फेफड़े, वायुनलियाँ और श्वासनली से बलगम को बाहर निकाल अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाती है. पुदीने में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण भी होते हैं जो एलर्जी प्रतिक्रियाओं को रोकने में मददगार है. एलर्जी एवं अस्थमा से बचाव के लिए पुदीने की चाय पियें. पुदीने के तेल की कुछ बूंदें नारियल तेल में मिक्स करें और इसे अपने छाती, नाक और गर्दन पर लगाएं. इससे आपको सांस लेने में आसानी होगी.