पेरीमेनोपॉज के लिए प्राकृतिक उपाय
पेरिमेनोपॉज़ वह समय है जो रजोनिवृत्ति यानी मीनोपॉज के पहले से लेकर मीनोपॉज तक का होता है। इस समय के दौरान है कि लोग सबसे पहले लक्षणों का अनुभव करना शुरू करते हैं। ये लक्षण प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के स्तर में असंतुलन के परिणामस्वरूप होते हैं।
हालांकि हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) इन लक्षणों का इलाज करने में मदद कर सकती है, पर इस समय के लिए कोई भी महिला प्राकृतिक उपचार भी आजमा सकती है। इस लेख में कुछ प्राकृतिक उपचारों पर चर्चा होगी जो लोगों को पेरिमेनोपॉज़ के लक्षणों को प्राकृतिक तौर पर रोकने में मदद कर सकते हैं।
पेरिमेनोपॉज के लक्षण
पेरिमेनोपॉज़ के लक्षणों में शामिल हैं:
- पीरियड्स के होने की अवधि में परिवर्तन
- हॉट फ्लैश (अचानक होने वाला तीव्र दर्द)
- योनि का सूखापन
- कभी भी मूत्र निकलने की आशंका (यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस)
- मूत्राशय में संक्रमण
- सोने में कठिनाई
- रात को बहुत ज्यादा पसीना आना
- सेक्स में कम दिलचस्पी
- डिप्रेशन
- भार बढ़ना
- सिर दर्द
- दिल की घबराहट
इसके अतिरिक्त, हड्डियां की डेंसिटी कम होना, जिसका अर्थ है कि एक व्यक्ति को फ्रैक्चर होने की आशंका ज्यादा होती है।
आहार परिवर्तन, कुछ व्यायाम और माइंडफुलनेस तकनीकों सहित प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करके व्यक्ति इनमें से कुछ लक्षणों को प्रबंधित और कम करने में सक्षम हो सकते हैं।
तनाव में कमी लाने के लिए व्यायाम और लाइफस्टाइल बदलाव
माइंडफुलनेस-बेस्ड स्ट्रेस रिडक्शन (एमबीएसआर) योग और ध्यान सहित कई तरह के व्यायामों का उपयोग करता है। एमबीएसआर सुरक्षित है और इससे तनाव में कमी आना, चिंता कम होना,
नींद की गुणवत्ता में सुधार जैसे तमाम सकारात्मक लक्षण देखे गये हैं। माइंडफुलनेस मेडिटेशन, योग और अन्य गतिविधियाँ, जैसे ताई ची, हॉट फ्लैशेस को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रात को पसीना और हॉट फ्लैश जैसे वैसो-मोटर लक्षणों पर उनके प्रभावों को निर्धारित करने के लिए अभी शोध चल रहा है।
अरोमाथेरेपी और मालिश
अरोमाथेरेपी एक और तरीका है जो पेरिमेनोपॉज़ के मनोवैज्ञानिक लक्षणों को कम करने उनका मैनेजमेंट करने में मदद कर सकता है। एक अध्ययन में पाया गया कि मालिश के साथ अरोमाथेरेपी का इस्तेमाल करने पर पीड़ित लोगो को मनोवैज्ञानिक लक्षणों को कम करने में फायदा हुआ।
शारीरिक गतिविधि
कोई भी महिला अगर शारीरिक गतिविधि में लिप्त होती हैं तो उन्हें अपने वैसो-मोटर लक्षणों जैसे हॉट फ्लैश और नींद या डिप्रेशन जैसी समस्या से कम दिकक्त होती है। पेरीमीनोपॉज लक्षणों में राहत दिलाने के लिए व्यायाम काफी मदद कर सकते हैं। मध्यम से उच्च स्तर की शारीरिक गतिविधि वाले लोगों में निष्क्रिय लोगों की तुलना में कम गंभीर लक्षण थे।
एक शोध में पाया गया है कि 12 सप्ताह के मध्यम व्यायाम ने वैसो-मोटर लक्षणों को खत्म तो नहीं किया पर इसकी वजह से नींद की गुणवत्ता, अनिद्रा, डिप्रेशन आदि में सुधार हो सकता है। यदि कोई भी महिला हर हफ्ते 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि में खुद को लिप्त करती है तो यह हड्डियों और मांसपेशियों का स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद कर सकता है। इसमें टहलना,धीमी दौड़,साइकिल चलाना,तैराकी जैसी कोई भी गतिविधि शामिल हो सकती है।
मनोवैज्ञानिक लक्षणों और वैसो-मोटर लक्षणों को रोकने में एरोबिक्स, संतुलन अभ्यास और प्रतिरोध प्रशिक्षण जैसी गतिविधिया या फिर इनका कॉम्बिनेशन बहुत मदद कर सकता है। योग से हॉट फ्लैश को दूर करने नींद की क्वालिटी में सुधार करने में भी मदद मिलती है।
वजन प्रबंधन
किसी भी महिला का अगर वजन संतुलित है तो उसे पेरीमीनोपॉज लक्षणो को मैनेज करने में आसानी होती है। कोई भी महिला अगर अपने वजन को मध्यम स्तर तक भी पहंचाकर उसे बनाए रखती है तो उसे हॉट फ्लैश और रात में बहुत ज्यादा पसीना आने जैसी वैसो-मोटर रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
रजोनिवृत्ति वजन बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण है। यह कम परिसंचारी एस्ट्रोजन के स्तर का परिणाम हो सकता है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को अपने आहार में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें नमक, चीनी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को भी सीमित करना चाहिए। लोगों को हर दिन पांच या छह छोटे भोजन खाने से भी फायदा हो सकता है।
आयरन युक्त खाद्य पदार्थ
उच्च मात्रा में आयरन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बहुत से लक्षण जैसे हॉट-फ्लैश,दिल की घबराहट,अनिद्रा,चिड़चिड़ापन में राहत मिलती है। आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों की बात करें तो इसमें शामिल हैं:
- साबूत अनाज
- काबुली चना
- डार्क चॉकलेट
- राज़मा
- टमाटर
- काजू
- हरी सब्जियां, जिनमें ब्रोकोली, पालक, केल, शतावरी और अजमोद आदि।
कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ और विटामिन डी
पेरिमेनोपॉज के दौरान, कुछ महिलाओं को हड्डियों का घनत्व कम होने की समस्या हो जाती है। ऐसे में कैल्शियम और विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। कुछ डेयरी खाद्य पदार्थ जिनमें कैल्शियम का उच्च स्तर होता है, उनमें दही,पनीर, जैसे पनीर, मोत्ज़ारेला, और चेडर, दूध आदि शामिल हैं।
डेयरी से अलग उच्च कैल्शियम विकल्पों की बात की जाय तो इसमें सोय दूध,टोफू,चिया बीज जैसे कई विकल्प शामिल हैं। इसके अलावा काले, ब्रोकली और संतरे के रस में भी कैल्शियम पाया जा सकता है। वहीं विटामिन डी के प्राकृतिक और आहार में शामिल हनो वाले पदार्थों में सामन, ट्राउट, और सार्डिन सहित मछली,मशरूम,दूध,सोय दूध
चेद्दार पनीर,मसूर की दाल, साबूत अनाज का नाश्ता, फाइटोएस्ट्रोजन युक्त खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं। फाइटोएस्ट्रोजेन पेरिमेनोपॉज़ के दौरान लक्षणों के विकास की संभावना को कम करने में मदद कर सकता है।इसके साथ ही यह हॉट फ्लैश के होने की बारंबारता को कम करने में मदद करता हैं। अपने आहार में फाइटोएस्ट्रोजेन में उच्च खाद्य पदार्थों को शामिल करने का निर्णय लेता है, तो उन्हें आहार विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए।
अलसी का तेल और विटामिन ई
चिकनाई और योनि के सूखेपन को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए महिलाएं योनि में अलसी का तेल या विटामिन ई का तेल लगा सकती है। विटामिन ई सपोसिटरी योनि शोष को दूर करने में मदद कर सकती है।
हाइड्रेशन
पीने का पानी हॉट फ्लैश को कम करने में मदद कर सकता है। पेरीमेनोपॉज़ के दौरान यूरिनरी ट्रैक्ट में इंफेक्श का खतरा बढ़ जाता है। बहुत सारा पानी पीने से बार-बार होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है। प्रतिदिन कम से कम 2 लीटर पानी पीने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसके अलावा केजेल एक्सरसाइज से इस तरह के संक्रमण और पेशाब होने पर नियंत्रण ना होने की समस्या से निजात पाय जा सकता है।
हॉट फ्लैश के लिए टिप्स
कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो हॉट फ्लैश को बढ़ा सकते हैं। इनमें शराब, कैफीन की उच्च मात्रा, मसालेदार खाना शामिल है। ऐसे में पेरीमीनोपॉज में इन चीजों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। अगर महिला धूम्रपान करती हैं तो उन्हें हॉट-फ्लैश से बचने के लिए इसे तुरंत छोड़ना होगा।