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Last Updated: Aug 11, 2024
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पेशाब रोग के लक्षण, कारण और इलाज - Peshab Rog Ke Lakshan, Karan Aur Ilaj in Hindi

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 16 Years Exp.BAMS
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पेशाब करना मानव शरीर में एक स्वभाविक प्रक्रिया है. इसकी सहायता से हमारे शरीर के कई विषैले पदार्थ बाहर निकलते रहते हैं. लेकिन कई बार पेशाब के रोग हो जाने से इसमें कई तरह की समस्याएं आ जाती हैं. पेशाब से संबंधित अधिकांश यूटीआई बैक्टीरिया के कारण होते हैं. लेकिन कभी-कभी यह कवक और विषाणु द्वारा भी फैलता है. यह आपके मूत्र मार्ग में कहीं भी हो सकता है. बच्चों की तुलना में वयस्कों में पेशाब के रोग अधिक होते हैं. पुरुषों की तुलना में यह संक्रमण लड़कियों और महिलाओं में ज्यादा होता है.

इस संबंध में जागरूक बनने के लिए इस लेख के माध्यम से पेशाब के रोग के लक्षणों को जानिए.

पेशाब के रोग के लक्षण - Pesab Rog Ke Lakshan in Hindi

पेशाब के रोग के लक्षण, संक्रमण की स्थिति पर निर्भर करते हैं जैसे :

  1. मूत्राशय में संक्रमण होने पर मूत्रमार्ग और मूत्राशय की परत में सूजन आ जाना.
  2. पेशाब के दौरान दर्द या जलन महसूस होना.
  3. बार बार पेशाब लगना या रात में पेशाब करने के लिए उठना और बहुत कम मात्रा में मूत्र होना.
  4. तत्काल पेशाब हो जाने का डर लगना.
  5. बदबूदार और खूनी पेशाब होना.
  6. पेट के निचले हिस्से या पेल्विस में दर्द होना.
  7. हल्का बुखार (101 फ़ारेनहाइट से कम) आना, ठंड लगना, और अस्वस्थ महसूस करना.
  8. काफी तेज बुखार (101 फ़ारेनहाइट से अधिक) आना.
  9. ठंड से कंपकपी लगना.
  10. जी मिचलाना.
  11. उल्टी होना.
  12. फ्लेंक दर्द: यह शरीर के एक तरफ पेट के उपरी हिस्से और पीठ के बीच के क्षेत्र में होने वाला दर्द है.
  13. यह पसलियों के नीचे और श्रोणि के ऊपर एक ही ओर होता है.

इनके अलावा अन्य लक्षण भी मूत्र पथ के संक्रमण का संकेत कर सकते हैं, जैसे छोटे बच्चों में बुखार, पीलिया, उलटी, दस्त और चिड़चिड़ापन आदि लक्षण नज़र आते हैं. बुज़ुर्गों में बुखार या हाइपोथर्मिया, भूख न लगना, सुस्ती और मूड बदलना आदि. गर्भवती महिलाओं में यूटीआई से संक्रमित होने की संभावनाएं अधिक होती हैं. अगर कोई महिला गर्भवती है, तो बच्चे के जन्म के पूर्व होने वाली जांचों में उसके मूत्र का परीक्षण भी करते रहना चाहिए, क्योंकि अगर संक्रमण का पता नहीं लग पाता है तो यह गर्भावस्था के के दौरान जटिलताओं का कारण बन सकता है. मूत्र पथ के संक्रमण कभी कभी यौन संचारित रोग भी हो सकता है.

पेशाब के रोग के कारण - Pesab Rog Ke Karan in Hindi

अधिकांश पेशाब के रोग ई-कोलाई बैक्टीरिया के कारण होते हैं. यह बैक्टीरिया आमतौर पर पाचन तंत्र में मौजूद रहता है. क्लैमाइडिया और माइकोप्लाज्मा बैक्टीरिया से मूत्रमार्ग का संक्रमण होता है, लेकिन ये मूत्राशय को संक्रमित नहीं करते हैं. किसी भी उम्र और लिंग के लोगों को पेशाब के रोग हो सकता है. हालांकि, कुछ लोगों में इसके होने की सम्भावना अधिक होती है. पेशाब के रोग निम्नलिखित कारणों से होता है : संभोग, शुगर, अस्वच्छ रहने की आदत, मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न करना, दस्त आना मूत्र का अवरुद्ध प्रवाह, पथरी, गर्भनिरोधक का उपयोग, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति, कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली, शुक्राणुनाशकों और टेम्पॉन का उपयोग, और एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक उपयोग करना इत्यादि.

पेशाब के रोग के प्रकार - Pesab Rog Ke Prakar

पेशाब के रोग, मूत्र तंत्र के किसी भी हिस्से में होने वाला संक्रमण है. इन्हें इनकी स्थिति के आधार पर निम्नलिखित 2 भागों में विभाजित किया गया है :

  1. सिस्टाईटिस या मूत्राशय का संक्रमण
    यह मूत्राशय के भीतर होने वाला बैक्टीरियल संक्रमण है. कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यीस्ट भी मूत्राशय के संक्रमण का कारण है. यूरेथ्राइटिस या मूत्रमार्ग संक्रमण यह भी बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण है. इसमें मूत्रमार्ग में सूजन होने की वजह से मूत्र त्यागने में दर्द का अनुभव होता है.
  2. पाइलोनेफ्राइटिस या गुर्दा संक्रमण
    यह किडनी में गंभीर रूप से होने वाला संक्रमण है जिसमें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ सकती है. इसमें बुखार, खूनी पेशाब और श्रोणि में दर्द होता है. गर्भवती महिलाओं को यह संक्रमण होने की सम्भावना अधिक होती है. मूत्रवाहिनी में यह संक्रमण बहुत कम होता है.

पेशाब के रोग के बचाव के उपाय - Pesab Rog Ka Ilaj in Hindi

  1. अधिक से अधिक पानी पीने और मूत्र त्याग करने की आदत डालिये.
  2. शराब और कैफीन के सेवन से दूर रहें, ये मूत्राशय में संक्रमण पैदा कर सकते हैं.
  3. सेक्स के तुरंत बाद मूत्र त्याग करिये. जननांगों को साफ रखें.
  4. नहाने के लिए बाथ टब का उपयोग करने से बचें. माहवारी के दौरान, टेम्पॉन की जगह सेनेटरी पैड या मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करें.
  5. जन्म नियंत्रण के लिए शुक्राणुनाशकों का उपयोग न करें.
  6. जननांगों में किसी भी प्रकार के सुगंधित उत्पादों का उपयोग करने से बचें.
  7. ढीले और कॉटन के अंडरवियर पहनें.
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