फिनोल क्या है, कैसे करें इस्तेमाल?
फिनोल क्या है
फिनोल हम सबकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में किसी ना किसी रूप में मौजूद है। यह एक एंटीसेप्टिक और कीटाणुनाशक है। दरअसल फिनोल एक प्रकार का कार्बनिक यौगिक है।
यह माउथवाश और स्प्रे क्लीनर जैसे कई घरेलू उत्पादों में छोटी खुराक में उपलब्ध होता है। अपने शुद्ध रूप में, यह रंगहीन या सफेद हो सकता है।
यह कुछ फंजाई और वायरस सहित सूक्ष्म जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला के खिलाफ काम करता है। फिनोल बीजाणुओं यानी स्पोर्स पर धीरे-धीरे असर करता है।
हल्की अस्पताल जैसी गंध
इसमें हल्की शक्कर जैसी गंध होती है जो कई बार आपको किसी अस्पताल के कमरे में सूंघने को मिलती है।
यह कई चिकित्सा और स्वास्थ्य संबंधी उपयोगों के लिए काम में लाया जाता है।
सारांश- फिनोल एंटीसेप्टिक और कीटाणुनाशक है, यह माउथवाश सहित कई घरेलू उत्पाद में मिलता है। इसमें हल्की अस्पताल में पाई जाने वाली गंध होती। इसका उपयोग चिकित्सकीय कामों में किया जाता है।
फिनोल का उपयोग
फिनोल का उपयोग कई तरह से किया जाता है इसमें प्रमुख हैं -
- इसका उपयोग त्वचा को कीटाणुरहित करने और खुजली से राहत देने के लिए किया जाता है।
- फैरिंजाइटिस के इलाज के लिए फिनोल का उपयोग मौखिक एनाल्जेसिक या एनेस्थेटिक के रूप में भी किया जाता है।
- फिनोल और इसके संबंधित यौगिकों का उपयोग सर्जिकल इनग्रोन टोनेल ट्रीटमेंट में किया जाता है, इस प्रक्रिया को फिनोलाइजेशन कहा जाता है।
- फिनोल का उपयोग रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और चिकित्सा प्रयोगशालाओं सहित कई स्थानों पर किया जाता है। फिनोल का उपयोग व्यापक रूप से घरेलू उत्पादों में और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में किया जाता है। इनमें शामिल हैं-
- गले में खराश के लिए 1.4% एकाग्रता वाले फेनोल का उपयोग उपचार में किया जाता है।
- फिनोल कई उपभोक्ता उत्पादों में मौजूद है जिन्हें खाने, लगाने या शरीर के विभिन्न भागों में इस्तेमाल किया जाता है। इनमें मलहम, कान और नाक के ड्राप्स, कोल्ड सोर लोशन, माउथवॉश, गार्गल, दांत दर्द की ड्राप्स, एनाल्जेसिक रब प्रमुख हैं।
- फिनोल का उपयोग गले की गोलियां और एंटीसेप्टिक लोशन के तौर पर किया जाता है। सर्जरी से पहले सर्जिकल क्षेत्रों की स्टेरिलाइज़ करने के लिए पारंपरिक रूप से फिनोल का उपयोग किया जाता रहा है।
- कुछ तंत्रिका विकारों से जुड़े दर्द को कम करने के लिए पानी में फिनोल की थोड़ी मात्रा को मिलाकर नर्व टिशू में इंजेक्ट किया जाता है।
- घरेलू क्लीनर और माउथवॉश में कम मात्रा में फिनोल कीटाणुनाशक के रूप में उपयोग किया जाता है। स्लिमिसाइड के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला फिनोल एक प्रकार का कीटाणुनाशक है।
डीएनए लैब समेत प्रयोगशालाओं में इसका उपयोग
फिनोल का सबसे बड़ा एकल उपयोग फेनोलिक रेजिन के उत्पादन में होता है।
इसका उपयोग कैप्रोलैक्टम (जिसका उपयोग नायलॉन 6 और अन्य सिंथेटिक फाइबर के निर्माण में किया जाता है) और बिस्फेनॉल ए (जिसका उपयोग एपॉक्सी और अन्य रेजिन के निर्माण में किया जाता है) के उत्पादन में भी किया जाता है।
इसका उपयोग डीएनए प्रयोगशालाओं में मॉलिक्यूलर तकनीकों में भी किया जाता है.।
सारांश- फिनोल के बहुत से उपयोग हैं। इसका उपयोग लैब्स से लेकर चिकित्सा तक किया जाता है। कई बार इसका उपयोग सर्जरी में किया जाता है।
जहरीला होता है फिनोल
फिनोल एक जहरीला यौगिक है जिसकी वाष्प त्वचा, आंखों और श्वसन तंत्र के लिए हानिकारक होती है।
- यदि त्वचा के संपर्क में रहने दिया जाए तो फिनोल त्वचा की बाहरी परतों को नष्ट कर देता है।
- मस्सों को हटाने और त्वचा के अन्य दोषों और विकारों के इलाज के लिए कभी-कभी थोड़ी मात्रा में कंसंट्रेटेड फिनोल को त्वचा पर लगाया जाता है।
- त्वचा के घावों को हटाने और गंभीर दर्द का इलाज करने के लिए फिनोल युक्त उत्पादों को केमिकल पील के रूप में उपयोग किया जाता है।
सारांश फिनोल जहरीला यौगिक है इससे आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। इसका उपयोग केमिकल पील के तौर पर भी किया जाता है।
फिनोल का उपयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
फिनोल बेहद जहरीला होने के साथ ही कोरोसिव भी होता है। यह आसानी से त्वचा में अवशोषित हो सकता है। क्योंकि शुरू में इसका प्रभाव सुन्न करने वाला हो सकता है।
रोगी को किसी तरह का कोई दर्द महसूस होने से पहले फिनोल व्यापक रूप से टिशू को नुक्सान पहुंचा सकता है। अपने चिकित्सक द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए ही फिनोल का प्रयोग करें।
मौखिक रूप से फिनोल टॉपिरल सोलुशन का उपयोग न करें। इसे अपनी नाक और आंखों से दूर रखें । आंखों से संपर्क में आने पर तेज दर्द और आंखें लाल हो सकती है। ऐसे में बहुत सारे पानी से आंख धोएं और तुरंत अस्पताल ले जाएं।
डाक्टर से पूछकर करेें इस्तेमाल
जब तक डॉक्टर द्वारा अनुमति न दी जाए तब तक कवरिंग (पट्टियां, ड्रेसिंग और मेकअप) का उपयोग न करें। अन्य सावधानियों में शामिल है-
- फिनोल को हैंडल करने से पहले और बाद में खूब सारे पानी से अपने हाथ धोएं।
- उपयोग से पहले प्रभावित क्षेत्र को साफ करें। क्षेत्र को अच्छी तरह से सुखाना सुनिश्चित करें।
- प्रभावित त्वचा पर एक पतली परत लगाएं और धीरे से मलें।
सारांश- फिनोल का उपयोग करते समय बहुत सी सावधानियों की जरुरत होती है। आंखों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। डाक्टर की अनुमति के बिना ना करें फिनोल का इस्तेमाल।
फिनोल से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
फिनोल कार्बोलिक एसिड के रूप में भी जाना जाता है जो एक सुगंधित कार्बनिक यौगिक है।
- यह आमतौर पर रंगहीन या सफेद क्रिस्टल के रूप में होता है।
- इसकी गंध मीठी होती है और स्वाद तेज जलता हुआ होता है। फिनोल तारकोल का हिस्सा है और कार्बनिक पदार्थों के प्राकृतिक अपघटन के दौरान बनता है।
- फिनोल का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, पेंट, पॉलिश, रोगन, वार्निश और सॉल्वेंट्स में भी किया जाता है।
सही तरीके से इस्तेमाल से प्रतिकूल प्रभाव नहीं
पर्यावरण में फिनोल ज्यादातर मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और इसका अधिकांश हिस्सा हवा में है।
- फिनोल युक्त उत्पादों के सही उपयोग से निम्न स्तर के जोखिम से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं की जाती है।
- हाई कंसंट्रेशन वाले फिनोल के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
- हाई कंसंट्रेशन वाले फिनोल से त्वचा, मुंह, गले, आंखों और वायुमार्ग में जलन, और त्वचा के रंग में बदलाव हो सकता है।
हाई कांसंट्रेसन में है खतरनाक
फिनोल एक एनेस्थेटिक है, इसलिए इससे जलने पर तुरंत ध्यान नहीं दिया जा सकता है।
- इसके परिणामस्वरूप मतली, उल्टी, दस्त, तेज हृदय गति और पसीना आ सकता है।
- हाई कंसंट्रेशन के संपर्क में आने के बाद, व्यक्ति को उनींदापन, सांस लेने में समस्या और हृदय की समस्याओं की शिकायत हो सकती हैं।
- गंभीर मामलों में, फेफड़े और गुर्दे की क्षति हो सकती है।
सही मात्रा में हो इस्तेमाल नहीं तो हो सकता है कैंसर
उपभोक्ता उत्पादों में 2.5 प्रतिशत तक और साबुन और शैंपू में 1 प्रतिशत तक फिनोल के इस्तेमाल की अनुमति है।
यह स्मोक्ड मांस और मछली उत्पादों में और स्मोक्ड फ्लेवरिंग के हिस्से के रूप में भी पाया जा सकता है।
यह संभावित कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ है।
निष्कर्ष- फिनोल के गुणों के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह एक जहरीला यौगिक है। कम मात्रा में हानिकारक नहीं है पर कांसंट्रेशन बढ़ने पर यह बहुत ही घातक हो सकत है। इससे हृदय रोग, गुर्दे की क्षति और कैंसर तक हो सकता है। इसका सही मात्रा में ही इस्तेमाल पूरी सावधानी से किया जाना चाहिए।