पित्ताशय की थैली के कैंसर - Pittashay Ki Thaili Ke Cancer!
पित्ताशय की थैली हमारे शरीर में यकृत के नीचे नाशपाती के आकार का एक अंग होता है. पित्ताशय का मुख्य कार्य पाचन के तरल पदार्थ, जिसे पित्त कहा जाता है, को संग्रहित करना है. कभी-कभी पित्ताशय की थैली में कैंसर हो जाता है. हालांकि पित्ताशय की थैली के कैंसर होने के सटीक कारण का पता नहीं चला है. पर ऐसे कई जोखिम कारक हैं जो पित्ताशय की थैली के कैंसर के होने की संभावना को बढ़ाते हैं. आगे हम पित्ताशय की थैली के कैंसर के बारे में जानेंगे.
पित्ताशय की थैली के कैंसर के कारण-
पित्ताशय की थैली के कैंसर होने के कारण की सटीक जानकारी अब तक प्राप्त नहीं हो सकी है. पर पित्ताशय की थैली के कैंसर के कई जोखिम कारक देखने को मिलते हैं.
आयु व लिंग: - गॉलब्लाडर कैंसर या पित्ताशय की थैली के कैंसर पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है. भारत में यह 45 वर्ष के उम्र के बाद ज्यादा देखा जाता है. जिसमें से 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग लोगों में अधिक पाया जाता है.
स्थान व जातियता: - अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र व जातीय समूहों में पित्ताशय की थैली के कैंसर के विकसित होने का खतरा विभिन्न होता है. भारत, पाकिस्तान, पूर्वी यूरोप, दक्षिण अमेरिका के देश व पूर्वी एशिया में पित्ताशय की थैली के कैंसर अधिक पाये जाते हैं. जबकि अफ्रीका में यह सबसे कम पाया जाता है. भारत में इसका खतरा उत्तर और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में अधिक रहता है, जबकि दक्षिण भारतीय क्षेत्र में यह सबसे कम है.
पित्ताशय की पथरी: - पित्ताशय की पथरी पित्ताशय के कैंसर के लिए संबसे आम जोखिम कारक है. पित्ताशय की पथरी और पित्ताशय के कैंसर के महत्वपूर्ण संबंध होते हैं. हालांकि इसका प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है. पित्ताशय की पथरी के ज्यादातर मामला में पथरी कोलेस्ट्रॉल और पित्त में पाये जाने वाले अन्य पदार्थों से बनती है, जो पित्ताशय में सूजन पैदा करती है. पथरी के कारण पित्ताशय में होने वाले लंबे समय तक की सूजन से पित्ताशय की दीवार में कैल्शियम का जमाव हो जाता है जो आगे चलकर कैंसर के खतरे को बढ़ाती है. पित्ताशय की पथरी के पारिवारिक इतिहास भी पित्ताशय के कैंसर के खतरा को दोगुना बढ़ा देता है.
अग्नाशय और पित्त नलिकाओं में असमानताएँ: - कितने लोगों में जन्मजात अग्नाशय और पित्त नलिकाओं की असमानताएँ पायी जाती है. आगे चलकर यह भी पित्ताशय के कैंसर के खतरा को बढ़ा देता है.
कोली डोकल सिस्ट (पुटक): - आनुवांशिक कोली डोकल पुटिका पित्त से भरी थैली होती है, जो पित्त-वाहिकाओं से जुड़ी होती है. इसके दीवारों में अक्सर कैंसर से पूर्व होने वाले परिवर्तन होते हैं जो पित्ताशय के कैंसर के खतरा को बढ़ा देते हैं.
पित्ताशय पौलिप्स: - पित्ताशय पौलिप का विकास पित्ताशय के दीवार के भीतरी सतह पर होता है. इसके विकास का कारण पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल के जमाव या सूजन हो सकता है. यदि पौलिप का आकार एक सेंटीमीटर से अधिक होता है तो कैंसर होने की संभावना अधिक होती है.
पारिवारिक इतिहास: - यदि व्यक्ति के पारिवारिक इतिहास में परिवार के प्रथम स्तर के रिश्तेदार में पित्ताशय की थैली के कैंसर हो तो व्यक्ति में पित्ताशय के कैंसर का खतरा पाँच गुना बढ़ जाता है.
जीवनशैली संबंधित कारक: - कुछ जीवनशैली संबंधित कारक भी पित्ताशय की थैली के कैंसर की संभावना को बढ़ा देते हैं. जैसे अत्यधिक मोटापा का सीधा संबंध पित्ताशय की कैंसर से है. मोटापे से संबंधित कैंसर में महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर और पुरुषों में लिवर कैंसर पहले स्थान पर है, जबकि पित्ताशय का कैंसर दूसरे स्थान पर है.
टाइफाइड के जीवाणु के संक्रमण: - टाइफाइड के जीवाणु साल्मोनेला के पुराने संक्रमण के कारण पित्ताशय में सूजन आ जाती है, जो लोगों में पित्ताशय के कैंसर के खतरे के संभावना को बढ़ा देती है. साल्मोनेला टाइपफी वाहक से पित्ताशय की थैली के कैंसर का खतरा 12 गुणा तक बढ़ जाता है.
कुछ अन्य कारक: - आहार में प्रोटीन और वसा की अधिकता तथा सब्जियों, फलों व फाइबर की कम मात्रा भी पित्ताशय की थैली के कैंसर के जोखिम कारक हैं. इसके अलावा कुछ रसायन जैसे नाइट्रोसोमाइनस, जो सिगरेट और कुछ औद्योगिक उत्पाद में पाया जाता है, भी पित्ताशय की थैली के जोखिम को बढ़ाते हैं. एक अध्ययन के अनुसार धातु या रबर उद्योग में कार्यरत धूम्रपान करने वाले लोगों में पित्ताशय की थैली के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है.