संधिवात उपचार कौन से है - Sandhivata Upchar Kaun Se Hai!
संधिवात एक ऐसी शारीरिक समस्या है, जो अधिक उम्र के रोगों में अधिक देखा जाता है. अधिक उम्र के लोगों में अक्सर ठंड के मौसम में एक समस्या देखने को आती है कि उनके घुटनों के जोड़ों में एक जोर का दर्द महसूस होता है, जिसे आयुर्वेद की भाषा मे संधिवात के नाम से जाना जाता है. संधिवात का उपचार जल्दी करना आवश्यक होता है. यदि संधिवात का उपचार सही समय पर नहीं किया गया तो रोगी को चलने फिरने में दिक्कत होती है, साथ ही रोगी दर्द से हर वक़्त परेशान रहता है. इसलिए संधिवात का उपचार जानना आवश्यक है. आगे हम जानेंगे कि संधिवात के उपचार कौन से हैं.
संधिवात का उपचार-
1. पानी: - संधिवात का मुख्य कारण जोड़ो में यूरिक एसिड का जमा होना है. यह यूरिक एसिड घुटनों और जोड़ो में दर्द पैदा करता है. इस स्थिति से निपटने का सबसे बेहतर तरीका है पानी का सेवन. दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें. इससे यह फायदा होगा कि ज्यादा पानी पीने से पेशाब भी ज्यादा बनेगा, जिसके माध्यम से अतिरिक्त यूरिक एसिड बाहर निकल जाएगा.
2. ताजा फल और सब्जी: - ताजे फलों और सब्जियों का सेवन भी इस रोग में राहत दे सकता है. फलों और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. इसके लिए इन फलों के रस का सेवन भी कर सकते हैं.
3. विटामिन डी: - संधिवात के रोगियों के लिये विटामिन डी का सेवन बहुत लाभकारी होता है. यदि विटामिन डी के सबसे अच्छे स्त्रोत की बात करें तो वह सूर्य की रोशनी है. इसलिए संधिवात के रोगियों को ठंडी के मौसम में धूप में जरूर कुछ देर के लिए बैठना चाहिए.
4. आलू: - इस रोग में आलू के रस का सेवन भी बहुत लाभकारी होता है. आप दिन में कम से कम 200 ML रस का सेवन जरूर करें.
5. लहसुन: - संधिवात रोग में लहसुन बहुत सहायक होता है. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. इसलिए लहसून का भी सेवन कर सकते हैं.
6. मालिश: - इस रोग में मालिश करने से भी राहत मिलती है. मालिश के लिए प्याज के रस को सरसों के तेल के साथ मिलाएं, और प्रभावित स्थान की हल्के हाथों से मालिश करें.
7. मेथी: - संधिवात में मेथी भी अच्छा प्रभाव दिखाती है. लगभग 10 ग्राम की मात्रा में मेथी लेकर उसे पूरी रात पानी मे भिगोकर रखें. फिर सुबह उठकर इस मेथी को हल्का सा पीस लें, और उसी पानी में मिलाकर हल्का सा गरम करके पीयें. यह काफी लाभकारी पेय माना जाता है.
8. आजवाइन और सेंधा नमक: - इस रोग में अजवाइन और सेंधा नमक भी लिया जा सकता है. आजवाइन की चूर्ण की लगभग 3 ग्राम की मात्रा लें और उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक भी मिला ले. अब एक ग्लास पानी को हल्का सा गरम करे, और उसमें यह मिश्रण मिला कर पी लें.
9. अदरक: - अदरक भी संधिवात रोग के निदान में एक औषधि का रूप निभाता है. इसके उपयोग के लिए अदरक को कूटकर उसका करीब 5 ग्राम रस निकालें. अब इस रस में कुछ मात्रा शहद की मिलायें और इसे पी लें.
10. वसा: - अपने आहार में नियमित रूप से घी, और स्वस्थ वसा का सीमित प्रयोग जरूर करें. इससे जोड़ो के ऊतकों को चिकनाई मिलती है, जिससे इस रोग में कुछ राहत मिलती है.
11. सैर करना: - इस रोग में चलना भी काफी लाभदायक होता है. इस लिए रोज सुबह कम से कम 30 मिनट के सैर की आदत बनाये.
12. गाजर: - गाजर का उपयोग भी संधिवात के लिए किया जा सकता है. इसके लिए गाजर के रस में नीबू का रस मिलाकर कम से कम 15 ML मिश्रण तैयार करें और उसका सेवन करें.
13. ककड़ी: - इस रोग के दौरान ककड़ी का रस भी फायदा पहुचाता है. अतः इस रोग में ककड़ी खाना फायदेमंद रहता है. ककड़ी का जूस भी पिया जा सकता है.
संधिवात के रोग में खान-पान में सावधानियाँ-
संधिवात के रोगियों का इलाज तभी अच्छा हो सकता है, जब वो इलाज के साथ ही खानपान का भी ध्यान रखे. इसलिए ऐसा कहा जाता है कि इस रोग में सब कुछ खाना सही नहीं है. बहुत से ऐसे भोज्य पदार्थ हैं जो जोड़ों के दर्द को और बढ़ाते हैं. इसलिए खानपान संबंधी इन विशेष बातों का ध्यान रखे.
संधिवात के दौरान बहुत अधिक मिर्च, मसालेदार भोजन करना नुकसानदायक होता है. इसलिए ऐसा भोजन न करें. चाय, कॉफी आदि का सेवन भी इस बीमारी के दौरान वर्जित रहता है. इसलिए इनका सेवन कम से कम करें. मांस, मछली, और किसी भी तरह का मांसाहारी भोजन का सेवन इस दौरान सही नहीं करना चाहिए. इस रोग के दौरान पालक का सेवन भी हानिकारक होता है. पालक, आक्जेनिक एसिड का एक प्रमुख स्रोत है जो संधिवात के दौरान इस रोग को और बढ़ाता है.