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Last Updated: Apr 17, 2019
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साइटिका इन हिंदी - Sciatica In Hindi!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 16 Years Exp.BAMS
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साइटिक तंत्रिका आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होती है, आपके कूल्हों और नितंबों के माध्यम से चलती हुई दोनों पैर में नीचे की तरफ शाखाएं जाती हैं. यह तंत्रिका आपके शरीर की सबसे लंबी तंत्रिका है और सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है. इसका आपके पैरों को नियंत्रित करने और महसूस करने की आपकी क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ता है. जब इस तंत्रिका में परेशानी उत्पन्न होती है, तो आप साइटिका यानि कटिस्नायुशूल का अनुभव करते हैं. साइटिका एक सनसनी है जो कि आपकी पीठ, नितंबों और पैरों में मध्यम से गंभीर दर्द के रूप में प्रकट हो सकती है. आप इन क्षेत्रों में कमजोरी या सुन्नता भी महसूस कर सकते हैं. साइटिका आपके साइटिक तंत्रिका या ऐसे क्षेत्र में चोट की वजह से, जो तंत्रिका को प्रभावित करती है, से उत्पन्न होने वाला लक्षण है. जैसे कि आपकी कशेरुकाएं, जो आपकी गर्दन और पीठ की हड्डियां हैं. साइटिका 30 से 50 साल की उम्र के लोगों के बीच होने की अधिक संभावना होती है.

साइटिका के लक्षण-
साइटिका लक्षण का एक बहुत अलग प्रकार है. यदि आपको अपने पीठ के निचले हिस्से से अपने नितंब क्षेत्र से होते हुए आपके निचले अंगों में बहने वाले दर्द का सामना करना पड़ रहा है, तो यह आमतौर पर साइटिका होता है. साइटिका की समस्या उत्पन्न होने का कारण आपके साइटिक तंत्रिका को नुकसान पहुँचने या चोट लगाने का परिणाम होता है, इसलिए तंत्रिका क्षति के अन्य लक्षण आमतौर पर दर्द के साथ उत्पन्न होते हैं. अन्य लक्षणों में निम्न लक्षण शामिल हो सकते हैं:
1. आपको दर्द हो सकता है जो हिलने-डुलने से और बदतर हो जाता है.
2. आपके टांगो या पैरों में आपको सुन्नता या कमजोरी हो सकती है, जो कि आमतौर पर आपके साइटिक तंत्रिका पथ में महसूस होती है. गंभीर मामलों में, आपके पैरों का महसूस होना या हिलना-डुलना भी बंद हो सकता है.
3.आप पिंस और सुई की सेंसेशन महसूस कर सकते हैं, जिसमें आपके पैर की उंगलियों या पैरों में एक दर्दनाक झुनझुनी होना भी शामिल है.
4. आप नित्य कर्म पर नियंत्रणहीनता का अनुभव कर सकते हैं, यह आपके मूत्राशय या आंत को नियंत्रित करने में अक्षमता है. यह कौडा एक्विना सिंड्रोम (अचलताकारक कशेरूकाशोथ) का एक दुर्लभ लक्षण है. इसे पर तत्काल आपातकालीन ध्यान देने की आवश्यकता है.

साइटिका के कारण-
साइटिका आपकी रीढ़ से जुड़ी कई स्थितियों के कारण हो सकती है और आपकी पीठ की नसों को प्रभावित कर सकती है. यह चोटों की वजह से भी हो सकती है, उदाहरण के लिए गिरने से या रीढ़ की हड्डी अथवा साइटिक तंत्रिका ट्यूमर के कारण. सामान्य स्थितियां जो साइटिका का कारण बन सकती है नीचे वर्णित हैं:-

  • हर्नियेटेड डिस्क्स:- इसे स्लिप डिस्क भी कहते है. आपकी कशेरुकाएं या रीढ़ की हड्डी कार्टिलेज (उपास्थि) के टुकड़ों से अलग हो जाती हैं. कार्टिलेज एक गाढ़े, साफ पदार्थ से भरा हुआ है ताकि जोड़ों को चारों ओर घूमते समय लचीलापन और गद्दीनुमा महसूस हो सकें. हर्नियेटेड डिस्क्स तब होती है जब कार्टिलेज की पहली परत हट जाती है. अंदर के पदार्थ साइटिक तंत्रिका को संकुचित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप निचले अंग में दर्द और सुन्नता हो जाती है. अमेरिकन अकादमी ऑफ ऑर्थोपेडिक सर्जन के मुताबिक, यह अनुमान लगाया गया है कि प्रत्येक 50 लोगों में से एक को अपने जीवनकाल में हर्नियेटेड डिस्क का अनुभव होगा.
     
  • स्पाइनल स्टेनोसिस:- स्पाइनल स्टेनोसिस को कमर संबंधी रीढ़ की हड्डी का स्टेनोसिस भी कहा जाता है. आपकी रीढ़ की हड्डी की निचली नलिका का असामान्य संकुचन इसकी विशेषता है. यह संकुचन आपकी रीढ़ की हड्डी और आपके साइटिक तंत्रिका की जड़ों पर दबाव डालता है.
     
  • स्पोन्डयलोलिस्थेसिस:- स्पोन्डयलोलिस्थेसिस, डिजेनेरेटिव डिस्क विकार सम्बंधित स्थितियों में से एक है. जब एक रीढ़ की हड्डी या कशेरुक, एक दूसरे से आगे बढ़ती है, तो विस्तारित रीढ़ की हड्डी आपकी साइटिक तंत्रिका को प्रेरित सकती है.
     
  • पिरिफोर्मिस सिंड्रोम:- पिरिफोर्मिस सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोमस्कुलर विकार है, जिसमें साइटिका के कारण आपकी पिरिफोर्मिस मांसपेशियां अनायास ही संकुचित या कस जाती है. आपकी पिरफॉर्मिस मांसपेशी वह मांसपेशी है जो आपकी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से को जांघों से जोड़ती है. जब यह कड़ी हो जाती है, तो यह आपकी साइटिक तंत्रिका पर दबाव डालता है, जिससे साइटिका हो जाती है. यदि आप लंबे समय तक बैठे रहते हैं, गिर जाते हैं या कार दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं तो पिरिफोर्मिस सिंड्रोम गंभीर हो सकता है.


साइटिका से बचाव
साइटिका और अन्य कारणों से पीठ दर्द सामान्य है, लेकिन कई उपाय हैं जो इसे होने या बार-बार होने से रोकने में मदद कर सकते हैं:

1. खड़े होने, चलने और बैठने पर सही आसन बनाए रखें.
2. ऐसा व्यायाम करें जो एरोबिक फिटनेस और पेट व रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियों में ताकत और लचीलापन बनाए रखता है.
3. कोई भी चीज सही तरीके से उठाने की तकनीक का अभ्यास करें. इसके लिए घुटनों को मोड़कर पीठ को सीधा रखें. ऐसा करने से, तनाव कूल्हे और पैरों पर आ जाता है, पीठ पर नहीं. उस वस्तु को शरीर के पास पकड़ कर रखें. शरीर से जितनी दूर वस्तु रहती है उतना अधिक तनाव पीठ पर पड़ता है.
4. जब बैठने के लिए कुर्सियों का उपयोग करें तो यह सुनिश्चित करें कि आपकी पीठ अच्छी तरह से टिकी हुई है. ऐसी कुर्सियों का उपयोग करें जो अच्छा बैक सपोर्ट प्रदान करती हैं और बैठने की एक अच्छी स्थिति प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गयी हैं. एक लकड़ी का रोल या कॉन्टर्ड कुशन आपकी पीठ के निचले भाग को सपोर्ट प्रदान करने में मदद कर सकता है.
5. धूम्रपान न करें.
6. शरीर के वजन को एक स्वस्थ स्तर पर बनाए रखें.

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