Lybrate Logo
Get the App
For Doctors
Login/Sign-up
Last Updated: Jun 29, 2023
BookMark
Report

शार्ट स्लीपर सिंड्रोम क्या होता है, और इसके प्रभाव

Profile Image
Akshara Mishra0Psychiatrist
Topic Image

दिमाग और शरीर को ठीक से काम करने के लिए नींद की जरूरत होती है। इस कारण से, नींद विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किसी भी व्यक्ति को हर रात सात घंटे से कम नहीं सोना चाहिए। कम से कम इतनी अधिक नींद के बिना, दिन के दौरान घबराहट होना और बिगड़ा हुआ मानसिक प्रदर्शन होना सामान्य है।

लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हर यात रात छह घंटे या उससे कम सोकर भी  तरोताजा और ऊर्जावान रहते हैं। उन्हें उठने पर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है। ऐसे लोगों को प्राकृतिक शॉर्ट स्लीपर या ट्रू शॉर्ट स्लीपर कहा जाता है। उनकी इस अवस्था को शार्ट स्लीप सिंड्रोम कहा जाता है।

नींद वैज्ञानिकों के पास इस बात के प्रमाण हैं कि प्राकृतिक रूप से कम सोने वालों में आनुवंशिक विविधताएँ होती हैं जो नींद के लिए उनकी जैविक आवश्यकता को कम कर देती है। हालांकि इस पर अभी अनुसंधान जारी है। इस सबके बीच यह भी एक तथ्य है कि शार्ट स्लीप सिंड्रोम वाले लोगों को  को कम सोने से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं भी होती हैं।

हम यह कह सकते हैं कि प्राकृतिक रुप से शॉर्ट स्लीपर वह व्यक्ति होता है जो प्रति रात 4 से 6 घंटे सोता है, भले ही उनके पास सोने के लिए अधिक समय उपलब्ध हो। प्राकृतिक शॉर्ट स्लीपर्स उन लोगों से भिन्न होते हैं जो छह घंटे से कम सोते हैं, जो अनिद्रा (इंसोमनिया) के शिकार हैं, या फिर उनके पास सोने के लिए समय ही नहीं है।

नींद की कमी का अनुभव करने वाले लोगों के विपरीत ऐसे लोगों को दिन भर नींद या थकान महसूस नहीं होती है।

शॉर्ट स्लीपर होने के लक्षण

प्राकृतिक लघु स्लीपरों की सामान्य विशेषताओं में शामिल हैं:

  • नियमित रूप से प्रति रात चार से छह घंटे के बीच सोना
  • सोने के लिए अधिक समय उपलब्ध होने पर भी छह घंटे से कम की नींद लेना
  • अलार्म सेट किए बिना या अन्यथा सोने के समय को सीमित किए बिना छह घंटे से कम सोना
  • कम नींद की अवधि के बावजूद तरोताजा होकर जागना
  • अत्यधिक नींद के बिना दिन के दौरान सतर्क महसूस करना

शॉर्ट स्लीपर होने के कारण

शोध से पता चलता है कि प्राकृतिक रूप से कम सोने वालों को उनके आनुवंशिकी के कारण रात में कम नींद की आवश्यकता होती है। कुछ जीन भिन्नताओं की पहचान की गई है जो परिवारों में चल सकती हैं और कम नींद से जुड़ी हैं। 50 से अधिक परिवारों में ऐसे लोगों की पहचान की गई है, जिन्हें तरोताजा महसूस करने के लिए 6 घंटे से कम नींद की आवश्यकता होती है। इन जीन भिन्नताओं के होने से प्राकृतिक शॉर्ट स्लीपर्स को नींद संबंधी समस्या नहीं होती और वो कम समय में ही तरोताजा होकर नींद से जाग जाते हैं।

कम सोने वालों की आनुवंशिकी के बारे में पहला प्रमुख लेख वर्ष  2009 में प्रकाशित किया गया था। तब से लेकर बहुत ज्यादा अनुसंधान हो चुके हैं पर किसी भी व्यक्ति के शार्ट स्लीपर होने के गुण यानी किसी भी व्यक्ति के प्राकृतिक रूप से कम सोने के पीछे के सटीक कारण अभी भी अज्ञात हैं।

कोई बीमारी नहीं है शार्ट स्लीपर सिंड्रोम

प्राकृतिक कम नींद कोई बीमारी या नींद की बीमारी नहीं है। किसी भी व्यक्ति जो शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम से ग्रस्त है उसके स्वास्थ्य में किसी भी तरह की समस्या होने की सूचना नहीं मिलती है। इसके विपरीत, अध्ययनों में पाया गया है कि अनिद्रा से पीड़ित लोग या जो लोग अधिक नींद की आवश्यकता के बावजूद जानबूझकर अपनी नींद को प्रति रात छह घंटे से कम तक सीमित रखते हैं, उनमें कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है, जैसे कि दिल का दौरा, हृदय रोग और टाइप 2 मधुमेह।

शार्ट स्लीपर सिंड्रोम के लिए किसी औपचारिक डायगनोसिस की  आवश्यक नहीं है, क्योंकि एक प्राकृतिक रूप से शार्ट स्लीपर सिंड्रोम डायगनोसिस वाली बीमारी नहीं है। प्राकृतिक रूप से कम सोने वालों को दिन में उनींदापन या नींद से संबंधित अन्य स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें नहीं होती हैं।

उपचार

प्राकृतिक रूप से कम सोने वालों को उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि उन्हें हर रात छह घंटे से कम सोने के बावजूद किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है। हालांकि अगर किसी को छह घंटे से कम सोने पर किसी को समस्या होती है या फिर दिन में उसे नींद आती है या सुस्ती बनी रहती है तो तो उन्हें डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

शार्ट स्लीपिंग सिंड्रोम वालों के लिए व्यवहारिक टिप्स

एक नियमित नींद पैटर्न का पालन करें:  नियमित तौर पर सोने का समय और जागने का समय नींद की गुणवत्ता में योगदान करता है। शार्ट स्लीपिंग सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों को एक नींद कैलकुलेटर का उपयोग करना चाहिए जिससे वो नींद की मात्रा के आधार पर एक शेड्यूल तैयार करने में मदद कर सकता है।

  • मॉर्निंग लाइट एक्सपोजर प्राप्त करें: सूर्य के प्रकाश से खासतौर पर सुबह के समय नियमित संपर्क, एक स्वस्थ सर्कैडियन लय स्थापित करने में मदद कर सकता है जो बेहतर नींद और समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करता है।
  • रात के समय में रुकावटों को रोकें:  प्राकृतिक रूप से कम सोने वालों को अवांछित जागरण का अनुभव होने पर आराम से नींद लेने में मुश्किल हो सकती है। इससे बचने के लिए एक आरामदायक बेडरूम सेटिंग तैयार करना जरुरी है। इस सेटिंग में  परेशान करने वाली रोशनी और शोर बिलकुल नहीं होना चाहिए। इससे नींद के बार बार खुलने की समस्या कम होती है।
  • सोने से पहले मादक पेय से बचें: शराब मस्तिष्क और की नींद के विभिन्न चरणों को प्रभावित करती है। सोने के समय के आसपास अगर कोी व्यक्ति को पहले तो नींद आ जाती है पर रात के  दूसरे पहर में नींद में खलल की कीमत पर आता है।
In case you have a concern or query you can always consult a specialist & get answers to your questions!