कृत्रिम बनाम प्राकृतिक पोषक तत्व
प्राकृतिक और कृत्रिम पोषक तत्वों को लेकर चर्चा बहस का एक पुराना मुद्दा है। आज कल की लाइफ स्टाइल में बहुत से लोगों को अकेले अपने आहार से पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है। बहुत ज्यादा लोग कृत्रिम पोषक तत्वों और खासकर मानव निर्मित मल्टीविटामिन के रूप में लेते है। यह विश्व व्यापी चर्चा का विषय है कि क्या सिंथेटिक पोषक तत्व प्राकृतिक पोषक तत्वों के समान लाभ प्रदान करते हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि कि सिंथेटिक पोषक तत्व खतरनाक हो सकते हैं। यह लेख सिंथेटिक और प्राकृतिक पोषक तत्वों पर इसी चर्चा को आगे बढ़ा रहा है।
सिंथेटिक और प्राकृतिक पोषक तत्व क्या हैं?
सबसे पहले हमें ये जानना जरुरी है कि प्राकृतिक और सिंथेटिक पोषक तत्वों के बीच अंतर है:
- प्राकृतिक पोषक तत्व: ये आहार में संपूर्ण खाद्य स्रोतों से, या प्रामाणिक संपूर्ण खाद्य पूरक से प्राप्त किए जाते हैं। संपूर्ण खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों के स्वास्थ्य लाभ होते हैं
- सिंथेटिक पोषक तत्व: इन्हें पृथक पोषक तत्व भी कहा जाता है, ये मानव निर्मित रासायनिक तत्व हैं, जो एक औद्योगिक प्रक्रिया में कृत्रिम रूप से तैयार किए जाते हैं। सिंथेटिक पोषक तत्व आहार की खुराक में पाए जाते हैं जो कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला सेटिंग या औद्योगिक प्रक्रिया में बनाए जाते हैं। सिंथेटिक पोषक तत्व प्रामाणिक 100% 'संपूर्ण खाद्य पूरक' में तब तक नहीं पाए जाते जब तक कि उन्हें निर्माता द्वारा जानबूझकर नहीं जोड़ा जाता है। आज बाजार में उपलब्ध अधिकांश सप्लीमेंट कृत्रिम रूप से (सिंथेटिक) बनाए जाते हैं। इनमें विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, खनिज और अमीनो एसिड शामिल हैं।
पूरक जो पोषक तत्वों को व्यक्तिगत रूप से उच्च मिलीग्राम काउंट के साथ सूचीबद्ध करते हैं, या रासायनिक नामों का उपयोग करते हैं जैसे रेटिनिल पामिटैट (विट ए), पाइरिडोक्सिन हाइड्रोक्लोराइड (विट बी 6), सायनोकोबालामिन (विट बी 12), एस्कॉर्बिक एसिड (विट सी), इरेडिएटेड एर्गोस्टेरल कैल्सिफेरॉल (विट डी), या डीएल-अल्फा टोकोफेरोल (विट ई) सभी निश्चित रूप से सिंथेटिक हैं।
प्राकृतिक संपूर्ण खाद्य पोषक तत्व हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और समय से पहले मृत्यु को प्रबंधित करने और रोकने में मदद कर सकते हैं। इन लाभों को संपूर्ण खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और फैटी एसिड की विस्तृत श्रृंखला से जोड़ा गया है।
फल और सब्जियां
फल और सब्जियां हमें फाइबर, विटामिन, खनिज और पौधों के यौगिक प्रदान करती हैं। इनसे सेहत को कई लाभकारी असर होते हैं। इन्हं कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। अध्ययनों से भी अब स्पष्ट हो चुका है कि अधिक फल और सब्जियों का सेवन हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, गठिया और कुछ मस्तिष्क विकारों के कम जोखिम से जुड़ा है। फलों का अधिक सेवन निम्न रक्तचाप, कम ऑक्सीडेटिव तनाव और ब्लड शुगर के बेहतर नियंत्रण से भी जुड़ा हुआ है। फल या सब्जियों का जो हर दिन सेवन करते हैं उनके हृदय रोग के जोखिम में 4-7% की कमी का भी शोध अब आ चुका है।
मछली
वैज्ञानिकों का मानना है कि तैलीय मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड का उच्च स्तर हृदय स्वास्थ्य में सुधार के लिए जिम्मेदार होता है। जो लोग नियमित रूप से मछली खाते हैं उन्हें दिल का दौरा, स्ट्रोक और हृदय रोग से मृत्यु का जोखिम कम होता है। यह जोखिम सामान्य लोगों या इसका सेवन ना करने वालों से करीब 15% कम होता है।
नट्स और बीज
नट और बीज एंटीऑक्सिडेंट, खनिज और स्वस्थ वसा में उच्च होते हैं। वे हृदय रोग और मधुमेह के जोखिम को कम करने से जुड़े हैं। एक अध्ययन के मुताबिक नट्स की 4 साप्ताहिक सर्विंग्स हृदय रोग के जोखिम को 28% और मधुमेह के जोखिम को 22% तक कम कर सकती हैं।
साबुत अनाज
साबुत अनाज में कई मूल्यवान पोषक तत्व होते हैं, जिनमें फाइबर, बी विटामिन और खनिज जैसे लोहा, मैग्नीशियम और सेलेनियम शामिल हैं। साबुत अनाज का सेवन कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे से सुरक्षा से भी जुड़ा है।
क्या हमारा शरीर प्राकृतिक और कृत्रिम पोषक तत्वों में भेद करता है?
स्वीकृत दृष्टिकोण यह है कि सिंथेटिक पोषक तत्व भोजन में पाए जाने वाले संरचना के समान होते हैं। लेकिन वास्तविकता यह भी है कि सिंथेटिक पोषक तत्वों की उत्पादन प्रक्रिया पौधे और पशु पोषक तत्वों के निर्माण के तरीके से बहुत अलग है। तो एक समान आणविक संरचना होने के बावजूद, शरीर प्राकृतिक पोषक तत्वों की तुलना में सिंथेटिक पोषक तत्वों के लिए बहुत अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है।
इसे एक एक सीधा सा उदाहरण देकर समझा जा सकता है। क्या आप सीमित औजारों के साथ पूरा घर बनाने की कल्पना कर सकते हैं। या भी यू समझिए कि आपको शाही पकवना पकाना है पर आपके पास पूरे मसाले नहीं या फिर जो मसाले हैं वो बेहद ही कम गुणवत्ता वाले हैं। क्या इन दोनों परिस्थितियों में आप अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। इसी तरह मानव निर्मित विटामिन के साथ यह दुविधा है, वे स्वाभाविक रूप से अपर्याप्त हैं। यानी या तो वो पूरे नहीं हैं या फिर उनकी गुणवत्ता की समस्या है। हम यह कह सकते हैं कि कृत्रिम रूप से बनाए गए, प्रयोगशाला-निर्मित पोषक तत्व प्राकृतिक पोषक तत्वों की तुलना में मौलिक रूप से अपर्याप्त हैं जो वास्तविक संपूर्ण खाद्य पदार्थों से प्राप्त होते हैं।
इसके अतिरिक्त, सिंथेटिक पोषक तत्वों को हमारा शरीर ठीक से अवशोषित नहीं करता है। इसका नतीजा यह है कि शरीर द्वारा इसे अच्छी तरह से उपयोग नहीं किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप वास्तविक भोजन खाते हैं, तो आप किसी एक पोषक तत्वों का सेवन नहीं कर रहे होते हैं, बल्कि विटामिन, खनिज, सह-कारक और एंजाइम की एक पूरी श्रृंखला का सेवन कर रहे होते हैं जो बेहतरीन मेटाबालिज्म के लिए जरुरी है। इन अतिरिक्त यौगिकों और कॉफ़ैक्टर्स के बिना, शरीर द्वारा सिंथेटिक पोषक तत्वों का उपयोग उनके प्राकृतिक समकक्षों के समान नहीं किया जा सकता है।
सिंथेटिक पोषक तत्व हानिकारक हो सकते हैं
यदि आप पहले से ही अपने आहार के माध्यम से पोषक तत्वों की पूरी रेंज का सेवन करते हैं, या प्राकृतिक संपूर्ण खाद्य पूरक का उपयोग करते हैं, तो उच्च शक्ति वाले सिंथेटिक विटामिन कई पोषक तत्वों के अनुशंसित दैनिक सेवन से अधिक हो सकते हैं।
कई बार सिंथेटिक पोषक तत्व शरीर को नुकसान भी पहुंचाते हैं। उदाहरण के लिए जब अधिक मात्रा में लिया जाता है, तो पानी में घुलनशील पोषक तत्व जैसे विटामिन सी और बी विटामिन मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। हालांकि, वसा में घुलनशील विटामिन ए, डी, ई और के शरीर में जमा हो जाते हैं। इसका मतलब यह है कि उनके उच्च स्तर तक जमा होने का खतरा है, जिससे हाइपरविटामिनोसिस हो सकता है।
ऐसे में सभी को और खासकर गर्भवती महिलाओं को अपने विटामिन ए के सेवन से विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है और सिंथेटिक सप्लीमेंट्स का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके कारण बच्चे में जन्म दोष होने की आशंका बढ़ जाती है। कुछ अध्ययनों के मुताबिक बीटा-कैरोटीन और विटामिन-ई की उच्च खुराक (जब कृत्रिम रूप से ली जाती है) समय से पहले मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकती है।
सिंथेटिक मल्टीविटामिन के उपयोग को कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़े कई अध्ययन भी इनके उपयोग को लेकर सतर्क रहने की जरुरत पर बल देते हैं। इसी तरह मानव निर्मित आयरन सप्लीमेंट उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकते हैं जिन्हें उनकी आवश्यकता नहीं है। इस बात के भी स्पष्ट प्रमाण हैं कि सिंथेटिक फोलिक एसिड भोजन में पाए जाने वाले प्राकृतिक फोलेट के लिए एक संभावित हानिकारक विकल्प है। मानव निर्मित फोलिक एसिड शरीर में कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।