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Last Updated: Aug 18, 2024
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टीबी ट्रीटमेंट साइड इफैक्ट - TB Treatment Side Effects In Hindi!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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टीबी एक ऐसी बीमारी है जो जानलेवा है. इसलिए टीबी के उपचार के लिए हम कई बार इसके उपचार से संबन्धित दुष्प्रभावों को नजरंदाज कर देते हैं. ट्यूबरकुलोसिस, यक्ष्मा, तपेदिक या क्षयरोग एक प्रकार का संक्रमण होता है जो धीमी-गति से बढ़ते बैक्टीरिया के कारण होता है जो शरीर के उन भागो में बढ़ता है जिनमे खून और ऑक्सीजन होता है इसलिए टीबी ज़्यादातर फेफड़ों में होता है. इसे पल्मोनरी टीबी कहते हैं. टीबी शरीर के अन्य भागों में भी हो सकता है जिसे एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी कहा जाता है.

टीबी के उपचार में 6-9 महीने लग सकते हैं और कुछ स्तिथियों में 2 साल भी लग सकते हैं. ट्यूबरक्लोसिस को टीबी भी कहा जाता है. माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है. हालांकि ये मूल रूप से एक श्वसन संक्रमण इस स्थिति के साथ साथ ट्यूबरक्लोसिस शरीर के अन्य अंगों को भी संक्रमित और प्रभावित करता जाता है. ये संक्रमण धीरे धीरे लसिका ग्रंथि और खून के ज़रिये फैलता जाता हैं. टीबी का इलाज यदि आप आयुर्वेदिक तरीकों से करें तो आपको कोई दुष्प्रभाव नजर नहीं आता लेकिन यदि आप एलोपैथिक दवाइयों का इस्तेमाल करेंगे तो आपको इसके कुछ दुष्प्रभावव भी नजर आएंगे.

आइए इस लेख के माध्यम से हम टीबी के उपचार और इसके दुष्प्रभावों के बारे में जानें.

टीबी का इलाज - TB Ka Ilaj in Hindi

  1. लहसुन
    लहसुन सल्फरिक एसिड से पूर्ण होता है जो बैक्टीरिया को नष्ट करने में मददगार होता है, जिनके कारण टीबी रोग उत्पन्न होता है. इसमें एलिसिन और अजोएन भी होते हैं, जो की जीवाणु को फैलने से रोकते हैं. इसके साथ ही टीबी के मरीज के लिए एंटीबैक्टीरियल गुण और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के प्रभाव बेहद फायदेमंद हैं. लहसुन को आप खाने के साथ या कच्चा भी खा सकते हैं.
  2. संतरे का करें उपयोग
    संतरे में आवश्यक मात्र में प्रयाप्त मात्रा में मिनरल और कंपाउंड्स होते हैं. संतरे का जूस लंग में सलाइन पहुंचाता है जिससे बलगम कम होता है और शरीर को संक्रमण से बचाता है. ये प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता भी है.
  3. सीताफल
    सीताफल व्यक्ति को दोबारा युवा बनाने में मदद करता है, इसके साथ, यह टीबी का भी निदान करते है. ज़्यादातर सीताफल को किडनी का इस्तेमाल किया जाता है.
  4. सहजन
    मोरिंगा (सहजन) की पत्तियों में सूजनरोधी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो लंग से बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं जो टीबी रोग का कारण होता है. इसके साथ ही सूजन को भी ठीक करते हैं. मोरिंगा की फली और पत्तियों में केरोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन सी भी पाए जाते हैं.
  5. आंवला
    आंवला में सूजनरोधी और एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं. पोषक तत्वों के मौजूद होने के कारण शरीर को ऊर्जा देता है और क्षमता में वृद्धि करता है जिससे शरीर के अंगों के कार्य सही तरीके से हो सकता है.
  6. काली मिर्च
    काली मिर्च लंग को साफ़ रखती है जिसकी सहायता से छाती के दर्द में कमी मिलती है जो कि टीबी के कारण होता है. इसके अलावा, यह सूजनरोधी गुण के होने के कारण सूजन को ठीक करते हैं जो बैक्टीरिया और कफ के कारण बढ़ता है.

टीबी ट्रीटमेंट साइड इफैक्ट- TB Treatment Side Effects In Hindi

अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट्स से हम अक्सर पीड़ित हो जाते हैं. लेकिन कई बार परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं कि हमें अंग्रेजी दवाओं के शरण में जाना ही पड़ता है. इस लेख के इस हिस्से में हम क्षय रोग में दी जाने वाली दवाओं के दुष्प्रभाव को समझने का प्रयास करेंगे. जैसे भूख नहीं लगना, मितली आना, त्वचा में रैशेज़ होना आदि. दवाओं के कुछ साधरण दुष्प्रभाव ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं, लेकिन कई बार दवाओं के कुछ गंभीर दुष्प्रभाव भी हो जाते हैं. ऐसे में अपने डॉक्टर को इस बारे में जरुर बताएं और उनसे सलाह लें. टी.बी में दी जाने वाली दवाईयों का कोर्स 6-9 महिने का होता है. शुरुआत में रोगी के शरीर को इन दवाओं से तालमेल बिठाने में समस्या आ सकती है. टी.बी की दवाओं के दो तरह के दुष्प्रभाव होते हैं पहला सामान्यय दुष्प्रभाव दूसरा गंभीर दुष्प्रभाव.

टीबी के दवाइयों के सामान्य साइड इफेक्ट्स

  1. टीबी की दवाओं से मरीज को यूरीन, लार और आँशु नारंगी रंग में परिवर्तित हो सकता है. ऐसे में डॉक्टर आपको सॉफ्ट कॉंटेक्ट लेंस पहनने से मना करते हैं.
  2. त्वचा संवेदनशील हो जाती है. धूप में निकलने से सनबर्न की समस्या हो जाती है. इसलिए डॉक्टर अच्छे सनसक्रीन लोशन के इस्तेमाल की सलाह देते हैं और धूप में त्वचा को ढक कर बाहर निकलने की सलाह देते हैं.
  3. टीबी की दवाएं गर्भ निरोधक दवाओं के प्रभाव को कम करती हैं, इसलिए जो महिलाएं टीबी की दवा इस्तेमाल कर रही हैं तो उन्हें गर्भनिरोध का कोई और विकल्प अपनाना चाहिए.
  4. अगर आप टीबी की दवा के साथ दर्द निवारक दवा मेथाडोन का सेवन कर रहे हैं तो आपको कुछ समस्या हो सकती है. इसलिए डॉक्टर आपके मेथाडोन के डोज में परिवर्तन कर सकता है.

टीबी के दवाइयों के गंभीर दुष्प्रभाव

टीबी की दवा लेने पर अगर आपको इस तरह की समस्या हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

  1. भूख नहीं लगना: - टीबी की दवाओं के लेने से हो सकता है रोगी को भूख नहीं लगे.
  2. मतली आना- क्षय रोग की दवाओं से कई बार मितली आने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
  3. त्वचा व आंखों में पीलापन: - क्षय रोग की दवाएं लेने से त्वचा व आंखों में पीलापन दिख सकता है और हो सकता है आपको पीलिया की समस्या हो जाए.
  4. तीन दिन से ज्यादा बुखार आना: - दवा लेने से लगातार बुखार हो सकता है. तीन दिन से ज्यादा बुखार होने पर डॉक्टर को जरुर दिखाएं.
  5. पेट में दर्द- क्षय रोग की दवाएं काफी गर्म व विषैली होती हैं, इन दवाओं से पेट में दर्द की समस्या हो सकती है.
  6. अंगुलियों व अंगूठे में झनझनाहट होना: - क्षय रोग की दवाएं लेने पर अगर पैरों की अंगुलियों व अंगूठे में झनझनाहट हो रही है तो इसे हल्के में नहीं लें.
  7. त्वचा संबंधी समस्या: - त्वचा में किसी तरह की समस्या की वजह क्षय रोग की दवाएं हो सकती हैं.
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