थायराइड के प्रकार- Thyroid Ke Prakar in Hindi
हाइपरथायरायडिज्म हमारे शरीर की एक ऐसी स्थिति है जिसमें हमारे शरीर में मौजूद थायरॉयड ग्रंथि थायरोक्सिन हार्मोन का उत्पादन आवश्यकता से अधिक करने लगती है. थायरॉयड एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो आपकी गर्दन के आगे वाले हिस्से में स्थित होती है. थायरॉयड ग्रंथि इन हार्मोनों के रिलीज के माध्यम से आपके चयापचय को नियंत्रित करती है. आइए इस लेख के माध्यम से हम थायराइड के प्रकारों के बारे में जानें ताकि इस विषय में हमारी जानकारी बढ़ सके.
थायराइड के प्रकार - Thyroid ke Prakar in Hindi
थायराइड नामक बीमारी के दो प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित है:
- हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड कम होना)
- हाइपरथायराइडिज्म (थायराइड बढ़ना)
हाइपोथायरायडिज्म के स्टेज
- उप-क्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म - इस स्टेज में उप-क्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म में TSH का लेवल 3 से 5.5 mlU/L तक बढ़ जाता है. अगर थायरोक्सिन का लेवल सामान्य लेवल के अंदर हो तो यह संदर्भ उप-क्लिनिकल हाइपोथायरायडिज्म की तरफ संकेत करते हैं.
- हल्के हाइपोथायरायडिज्म - टीएसएच (TSH) के लेवल को 5.5 से 10 mlU/L तक बढ़ाया जा सकता है और थायरोक्सिन का लेवल कम किया जा सकता है, इससे अधिकांश मरीजों का टी4 लेवल सामान्य स्तर पर आ जाता है. टी3 का लेवल आगे नहीं गिरता है जब तक बीमारी गंभीर रूप से विकसित ना हो इसका कारण ये है कि TSH के लेवल का बढ़ना थायरॉयड को अधिक टी3 जारी करने के लिए उत्तेजित करने लगता है. इसके बेहतर परिणाम तब दिखते हैं जब टी3 का लेवल गिरने लगता है. हल्के हाइपोथायरायडिज्म आमतौर पर ऑटोइम्यून थायरायराइटिस के कारण होते हैं, जिनके लक्षण थकान, वजन बढ़ना, तरल अवरोधन आदि के रूप में देखने को मिलते हैं.
- मध्यम हाइपोथायरायडिज्म - किसी व्यक्ति को मध्यम हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब उसके टीएसएच का स्तर 10 से 20 mlU/L की सीमा के भीतर हो और जब उनका टी3 और टी4 निम्न स्तर में हो. हल्के और मध्यम हाइपोथायरायडिज्म महिलाओं में जल्दी होने की संभावना रहती है. महिलाओं के मामले में यह बहुत जरूरी होता है कि हाइपोथायरायडिज्म कि जांच करके इसको ठीक किया जाए, क्योंकि इससे महिलाओं में गर्भपात और भ्रूण मृत्यू जैसे जोखिम बढ़ जाते हैं.
- मैक्सिडेमा कोमा - अगर हाइपोथायरायडिज्म का समय पर ट्रीटमेंट ना किया जाए तो वह बढ़ कर मैक्सिडेमा कोमा का रूप ले सकता है. मैक्सिडेमा कोमा एक बहुत ही गंभीर स्थिति होती है, थायरॉयड हार्मोन का बहुत ही कम उत्पादन इसकी विशेषता होती है. इस स्थिति में शरीर तनाव, ठंडा मौसम और सर्जरी आदि स्थितियों का सामना करने में सक्षम नहीं होता है. मरीज इस स्थिति में सामान्य महसूस नहीं करता एवं उसे शारीरिक कमजोरी, उलझन, शरीर में सुजन इत्यादि की स्थिति का सामना करना पड़ता है.
थायराइड बढ़ने (हाइपरथायरायडिज्म) के लक्षण-
टी 4, टी 3 या फिर दोनों हार्मोनों की ज़्यादा मात्रा अत्यधिक हाई मेटाबॉलिक का कारण हो सकती हैं. इसे हाइपरमेटाबॉलिक स्थिति कहा जाता है. इस अवस्था में, आपको हार्ट रेट में तेज़ी, हाई ब्लड प्रेशर और हाथों में झटकों का अनुभव हो सकता है. आपको पसीना ज्यादा आ सकता है और गर्मी के प्रति कम सहिष्णुता हो सकती है. हाइपरथायरायडिज्म इटेंस्टाइन की अधिक गतिशीलता, वजन घटना और महिलाओं में अनियमित मेस्ट्रूअल साइकिल उत्पन्न कर सकता है. थायरॉयड ग्रंथि अपने आप भी सूज कर गोइटर बन सकती है. आपकी आंखो में भी सूजन हो सकती हैं, जो एक्सोफ़थैल्मोस का एक लक्षण है और ग्रेव्स बीमारी से संबंधित है.
हाइपरथायरायडिज्म के अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं -
भूख ज्यादा लग सकती है
- एंग्जायटी
- ध्यान केंद्रित करने में समस्या
- कमजोरी
- अनियमित हार्ट रेट
- नींद आने में समस्या
- कमज़ोर बाल
- खुजली
- बाल टूटना
- उल्टी और मतली
- पुरुषों में ब्रेस्ट का विकास
निम्नलिखित लक्षणों को शीघ्र ही उपचार की आवश्यकता होती है -
- चक्कर आना
- साँस लेने में परेशानी
- बेहोशी
- तेज या अनियमित हार्ट मूवमेंट
हाइपरथायरायडिज्म, आर्टरियल फिब्रिलेशन का कारण बन सकता है जो एक गंभीर एरिथमिया है, जिससे स्ट्रोक और हार्ट फेल भी हो सकती है.
थायराइड कम होने (हाइपोथायरायडिज्म) के लक्षण
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण और संकेत मूल रूप से थायरॉयड हार्मोन उत्पादन में होने वाली कमी और उसकी गंभीरता पर आधारित होते हैं. लेकिन आमतौर पर इस देखा जाए तो यह कई समस्या उत्पन्न कर सकता हैं जो हमारे अंदर बहुत सालों से विकसित होती हैं. सबसे पहलें आप हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों में थकावट और वजन बढ़ने जैसी समस्याओं को अनुभव कर सकते हैं. मगर जब आपके मेटाबाॅलिक के काम करने की गति धीमी होने लगती है, तब आप इसके संकेत देख सकते हैं.
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण और संकेतों में निम्नलिखित शामिल है-
- थकान
- अधिक ठंड लगना
- त्वचा सूखी पड़ना
- वजन बढ़ना
- चेहरे पर सूजन होना
- आवाज बैठना
- मसल्स में दुर्बलता
- ब्लड में कोलेस्ट्रॉल का लेवेल बढ़ना
- मसल्स में दर्द, नाजुकता और जकड़न
- जॉइंट में अकड़न और सूजन के साथ दर्द
- असामान्य और अनियमित रूप से पीरियड
- हेयर फॉल
- हार्ट रेट धीमी होना
- डिप्रेशन
- याद्दाश्त कमज़ोर पड़ना
अगर हाइपोथायरायडिज्म का ट्रीटमेंट ना किया जाए तो उसके संकेत और लक्षण धीरे-धीरे और बढ़ने लगते हैं और थायरॉयड हार्मोन ज्यादा रिलीज़ होने लगते हैं, जिससे थायरॉइड बढ़ने जैसी समस्या हो सकती है. इसके साथ-साथ आपको विस्मृत विकार हो सकते हैं, सोचने-समझने की क्षमता कम हो सकती है और आप डिप्रेशन का अनुभव भी हो सकता हैं.