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Last Updated: Feb 21, 2022
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Uterus Me Ganth Ka Ilaj in Hindi - बच्चेदानी में गांठ का इलाज

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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बच्चेदानी में गाँठ, कई महिलाओं के लिए परेशानी का कारण बन जाती है. इस दौरान गर्भाशय की आंतरिक परत की कोशिकाएं आवश्यकता से अधिक मोटी और बड़ी हो जाती हैं. फाइब्रॉइड होने के कारण जो लक्षण प्रकट होते है वो इस बात पर निर्भर करते है की ये किस जगह स्थित है , इनका आकार कैसा है और इनकी संख्या कितनी है. यदि फाइब्रॉइड बहुत छोटे हों और कम हों तो किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती और मेनोपॉज होने के बाद या अपने आप सिकुड़ कर मिट जाते है. लेकिन यदि फाइब्रोइड बढ़ जाते है इस प्रकार की परेशानी पैदा हो सकती है. गर्भाशय आकार में नाशपाती जैसा होता है. बच्चेदानी, महिलाओं का वो ख़ास अंग है जहां जन्म से पहले बच्चे को रखती हैं. आप इसे दो भागों में बाँट सकते हैं. एक तो है गर्भाशय ग्रीवा का पहला भाग जो योनी में खुलता है, वहीँ दुसरा भाग जो गर्भाशय का उपरी हिस्सा है जिसे कॉर्पस कहते हैं. महिलाओं के गर्भाशय में गाँठ का एक कारण कैंसर भी हो सकता है. आइए बच्चेदानी के गाँठ के कारणों और इसके संभावित उपचारों पर एक नजर डालें.

क्या है बच्चेदानी में गाँठ का कारण - Bachedani Mein Ganth Ke Karan in Hindi

  1. हार्मोन
    अंडाशय में निर्मित होने वाले दो हार्मोन इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन के कारण हर महीने गर्भाशय में एक परत बनती है. जिसके कारण माहवारी होती है. ये हार्मोन ही इन परत के बनने के दौरान फाइब्रॉइड बनने की वजह भी बनते है.
  2. अनुवांशिकता पारिवारिक कारण
    यदि दादी, नानी, माँ या बहन को फाइब्रॉइड की समस्या है तो आपको भी यह होने की पूरी संभावना होती है.
  3. गर्भावस्था
    गर्भावस्था के समय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन्स का स्राव बढ़ जाता है. इसलिए ऐसे समय फाइब्रॉइड होने संभावना भी बढ़ जाती है.
  4. मोटापा
    वजन ज्यादा होने की वजह से भी गर्भाशय में फाइब्रॉइड बनने की संभावना बढ़ जाती है. इसका कारण गलत प्रकार का खान-पान, शारीरिक गतिविधि का अभाव तथा गलत प्रकार की दिनचर्या भी हो सकता है.

क्या हैं इसके लक्षण? - Bachedani Mein Ganth Ke Lakshan

  1. माहवारी के समय या बीच में ज्यादा रक्तस्राव जिसमें थक्के शामिल होते है.
  2. नाभि के नीचे पेट में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द.
  3. पेशाब बार बार आना.
  4. मासिक धर्म के समय दर्द की लहर चलना.
  5. यौन सम्बन्ध बनाते समय दर्द होना.
  6. मासिक धर्म का सामान्य से अधिक दिनों तक चलना.
  7. नाभि के नीचे पेट में दबाव या भारीपन महसूस होना.
  8. एनीमिया.
  9. पैरों में दर्द.
  10. पेट की समस्याएं सूजन.
  11. सम्भोग के समय दबाव महसूस होना.
  12. फाइब्रॉइड का पता कैसे चलता है

यदि उपरोक्त लक्षण दिखाई दें तो महिला चिकित्सक से जाँच करानी चाहिए. जाँच करने के बाद यदि उन्हें गर्भाशय में गांठ यानि फाइब्रॉइड होने का शक हो डॉक्टर सोनोग्राफी कराने के लिए कह सकते है. सोनोग्राफी से गर्भाशय की सही स्थिति का पता चलता है. कहाँ, कितनी संख्या और कितने बड़े फायब्रॉयड है इसका भी पता चल जाता है. यह सोनोग्राफी दो तरह से होती है – पहली समान्य प्रकार से पेट के ऊपर से और दूसरी योनी के अंदर से जिसे ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासॉउन्ड कहते है.

योनि के अंदर से सोनोग्राफी होने पर फाइब्रॉइड की स्थिति का ज्यादा स्पष्ट रूप से पता चलता है. क्योंकि उसमे मशीन गर्भाशय के ज्यादा पास तक पहुँच पाती है. डॉक्टर के बताये अनुसार सोनोग्राफी कराने से किस प्रकार का इलाज होना चाहिए यह पता चलता है. इसके अलावा एम.आर.आई., एक्सरे या सीटी स्केन की जरुरत के अनुसार कराने की सलाह दी जा सकती है.

बच्चेदानी में गांठ का इलाज - Bachedani Mein Ganth Ka Ilaj in Hindi

  1. यदि फाइब्रोइड के कारण किसी प्रकार की तकलीफ ना हो तो सामान्यतः किसी प्रकार के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है. यहाँ तक की थोड़ा बहुत अधिक रक्तस्राव की स्थिति से निपट सकें तो कोई इलाज ना लें तो चलता है.
  2. मेनोपॉज होने के बाद इसके कारण हो रही तकलीफ कम हो जाती है या कभी कभी बिल्कुल मिट भी जाती है. लेकिन यदि तकलीफ ज्यादा होती है तो इलाज लेना जरुरी हो जाता है.
  3. फायब्रॉइड का इलाज उम्र , शारीरिक स्थिति , फाइब्रॉइड का आकार , उनकी संख्या और उनकी स्थिति के अनुसार तय किया जाता है. हो सकता है कुछ दवाओं से फाइब्रॉइड ठीक हो जाएँ अन्यथा ऑपरेशन की जरुरत भी पड़ सकती है. आपरेशन कई प्रकार से होते है. जिसमें मशीनों की सहायता से फाइब्रॉइड को बिना किसी चीर फाड़ के लेजर से नष्ट किया जाता है.
  4. यदि इसके द्वारा इलाज संभव नहीं हो तो गर्भाशय को निकाल देना पड़ता है. उस स्थिति में माँ बनने की संभावना समाप्त हो जाती है. इस आपरेशन में ओवरी निकाल देनी है या नहीं यह डॉक्टर मरीज की परिस्थिति और जरुरत को देखते हुए निर्णय लेते है.
  5. फाइब्रोइड होने पर डॉक्टर से इस प्रकार के प्रश्न किये जा सकते है. इनके जवाब समझने पर यह निर्णय करना आसान होता है कि अब क्या करना चाहिए. दवा लें या सर्जरी करायें. डॉक्टर की राय भी ली जा सकती है ताकि निर्णय लेना आसान हो जाये.
  6. यदि गर्भाशय में मौजूद गांठ या रसौली प्रारंभिक अवस्था में हो या छोटी हों तो आयुर्वेदिक दवाओं से या होमिओपेथिक दवाओं से इन्हें ठीक करने की कोशिश की जा सकती है. ज्यादा बड़े फाइब्रॉइड होने पर और ब्लीडिंग अधिक होने पर सर्जरी जरुरी हो जाती है. सर्जरी के बाद महीने डेढ़ महीने कुछ परहेज रखने की जरुरत होती है. सर्जरी के बाद सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है.
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