वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव - Vaayu Pradushan Ke Dushprabhaw!
वायु प्रदुषण आज सम्पूर्ण विश्व के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसा नहीं है कि हमेशा से ये स्थिति थी. प्राचीन काल में हमारे सामने वायु प्रदूषण जैसी समस्या नहीं आई क्योंकि प्रदूषण का दायरा सीमित था. इसके अलावा प्रकृति भी पर्यावरण को संतुलित रखने का लगातार प्रयास करती रहती है. प्रकृति के संतुलन से और उस समय प्रदूषण के सीमित होने के कारण पहले हमें ऐसी विकट स्थिति का मामना नहीं करना पड़ता था. लेकिन आज हम तथाकथित विकास के नाम पर कई ऐसे काम कर रहे हैं जिनका असर वायु की शुद्धता पर पड़ रहा है. औद्योगीकरण के बाद से लगातार उत्पादन क्षमता बढ़ता जा रहा है.
दरअसल हम सभी ने अपने औद्योगिक लाभ के लिए बिना सोचे-समझे प्राकृतिक साधनों का भयंकर दोहन और विनाश किया है. इसी कारण से प्राकृति का सन्तुलन बिगड़ने लगा और फिर वायुमंडल भी इससे बच नहीं सका. आज भारत के साथ विश्व के कई देश इसके दुष्प्रभाव को झेलने के लिए बाध्य हैं. आपको बता दें कि हमारे वायुमण्डल में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड आदि गैसों की उपस्थिति एक निश्चित अनुपात में रहती है. जब किसी अन्य कारणों से इनके अनुपात के सन्तुलन में परिवर्तन होता है तो वायुमण्डल अशुद्ध हो जाता है. वायुमंडल को अशुद्ध करने वाले कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल मिट्टी के कण हैं जो वायुमण्डल को प्रदूषित करने का काम करते हैं. आइए वायु प्रदुषण के कुछ महत्वपूर्ण दुष्प्रभावों को जानें.
1. श्वसन की समस्याएं-
वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव ये है कि इससे वायुमण्डल में लगातार अवांछित रूप से कार्बन डाइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन, आक्साइड, हाइड्रो कार्बन आदि हमारे फेफड़ों से होता हुआ शरीर के अंदर जाता रहे तो श्वसन से संबंधित कई तरह की परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं. इसमें आपको उल्टी घुटन, सिर दर्द, आँखों में जलन आदि समस्याएं हो सकती हैं.
2. भूमि की उर्वरता नष्ट होती है-
आज के समय में बहुतायत मात्रा में मौजूद वाहनों व कारखानों से निकलने वाले धुएँ में सल्फर डाइ आक्साइड की मात्रा पाई जाती है. ये पहले सल्फाइड और इसके बाद सल्फ्यूरिक अम्ल में परिवर्तित होकर वायु में बूदों के रूप में मौजूद रहती है. जब वर्षा का मौसम आता है तो यह वर्षा के पानी के साथ पृथ्वी पर गिरती है जिससे कि भूमि की अम्लता बढ़ती है और उत्पादन-क्षमता घटने लगती है.
3. कैंसर की संभावना-
प्रदूषित वायु के कई तरह के जहरीले तत्व पाए जाते हैं जिनसे कैंसर जैसी खरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं. प्रदुषण के कारण निकली कुछ रासायनिक गैसें वायुमण्डल में पहुँच कर वहाँ ओजोन मण्डल से क्रिया करके उसकी मात्रा को घटाने का काम करती हैं. जाहिर है ओजोन मण्डल अन्तरिक्ष से आने वाली हानिकारक विकरणों को अवशोषित कर लेती है. इसलिए ओजोन मण्डल हमारे लिए ढाल का काम करता है. लेकिन प्रदुषण के कारण जब ओजोन मण्डल कमजोर पड़ता है तो तब त्वचा कैंसर जैसे भयंकर रोग हो सकते हैं.
4. प्राचीन स्मारकों पर दुष्प्रभाव-
वायु प्रदुषण का प्रभाव विभिन्न प्राणियों के स्वास्थ्य पर तो पड़ता ही है भवनों, धातु व स्मारकों आदि का भी क्षय होता है. इसका उदाहरण ताजमहल को खतरा मथुरा तेल शोधक कारखाने से हुआ नुकसान है.
5. ऑक्सीजन की कमी-
हमारे वायुमण्डल में वायु पप्रदुषण के कारण आक्सीजन के स्तर में आती लगातार कमी मानवों के साथ-साथ विभिन्न प्राणियों के लिए भी घातक है. आक्सीजन की कमी से प्राणियों को श्वसन में बाधा आयेगी.
6. अन्य प्राणियों पर-
वायु प्रदुषण के कारणों के जड़ में केवल मनुष्य हैं लेकिन इसका दुष्परिणाम हमारे साथ-साथ विभिन्न प्राणी भी भुगत रहे हैं. कारखानों से निकलने के बाद कई हानिकारक रासायनिक पदार्थ व गैसों का अवशोषण फसलों, वृक्षों आदि द्वारा किए जाने पर प्राणियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.