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Last Updated: Dec 02, 2023
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वर्टिगो अटैक क्या होता है, जानें इसके कारण, लक्षण, बचाव एवं इलाज

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Dr. Ruchi SatyeshGeneral Physician • 26 Years Exp.MBBS Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery, DFM - RCGP, CCEBDM(DIABETOLOGY)
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वर्टिगो अटैक को सामान्य भाषा में तेजी से चक्कर आना कहते है। यह एक ऐसी स्थिति है जब आप वास्तव में स्थिर होते हुए भी आपको लगता है कि सबकुछ घूम रहा है। ऐसी स्थिति में सिर हिलाने पर आपको असंतुलन या फिर बिगड़े हुए मूवमेंट का एहसास होता है। इस स्थिति में चक्कर के साथ सनसनी जैसा भी महसूस होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। वर्टिगो अटैक कुछ सेकेंड्स से लेकर कुछ दिनों तक चल सकता है। अगर स्थिति गंभीर हो तो यह कुछ महीने तक भी चल सकता है।

वर्टिगो अटैक दरअसल शरीर की दूसरी चिकित्सा समस्या का एक लक्षण हो सकता है। वर्टिगो से कई अलग-अलग स्थितियां जुड़ी होती हैं। आमतौर पर, वर्टिगो  कान की अंदरूनी समस्याओं के कारण होता है, इस स्थिति को पेरिफेरल वर्टिगो कहा जाता है। इसके अलावा वर्टिगो अटैक की समस्या मस्तिष्क या नर्वस सिस्टम से भी जुड़ी  हो सकती है। ऐसे वर्टिगो अटैक को सेंट्रल वर्टिगो कहा जाता है। गर्दन और सिर में लगनी वाली चोट  या किसी और तरह की मेडिकल स्थिति भी वर्टिगो अटैक का कारण बन सकते हैं। वर्टिगो अटैक या चक्कर आने के कारण का पता लगाना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह आपके उपचार की दिशा को तय करता है।

वर्टिगो अटैक के कारण

वर्टिगो या वर्टिगो अटैक के सबसे सामान्य कारणों में निम्न स्थितियों में से एक शामिल है:

बेनिग्न पैरॉक्सिस्मल पोजिशनल वर्टिगो (बीपीपीवी)

बीपीपीवी वर्टिगो का सबसे आम कारण है। ऐसा तब होता है जब छोटे-छोटे क्रिस्टल टूट कर अलग हो जाते हैं और कान के अंदरूनी हिस्सो में तैरने लगते हैं। कान के ये अंदरूनी हिस्से ट्यूब के आकार के होते हैं और उन्हें सेमी सर्कुलर कैनाल कहा जाता है। बीपीपीवी के परिणामस्वरूप आमतौर पर वर्टिगो के छोटे एपिसोड होते हैं। ऐसे में वर्टिगो अटैक अचानक आते हैं और कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक रहते हैं। बीपीपीवी से पीड़ित लोग अगर अपना सिर हिलाते हैं तो इससे वर्टिगो के एपिसोड ट्रिगर हो सकते हैं। कई बार बीपीपीवी के कारणों की ठीक-ठीक पहचान नहीं हो पाती है लेकिन ज्यादातर ऐसी स्थिति सिर पर मामूली या गंभीर चोट लगने से आती है।

लैब्रिंथाइटिस

इस स्थिति को 'वेस्टिबुलर न्यूरिटिस' भी कहा जाता है। इसका सबसे  सामान्य लक्षण आंतरिक कान की जलन और सूजन होता है। यह आमतौर पर भीतरी कान के संक्रमण या वायरस के कारण होता है। इसकी कई बार भूलभुलैया रोग भी कहते हैं। ऐसे लोगो को अचानक चक्कर आना यानी कभी भी वर्टिगो अटैक हो सकता है। इसके अलावा इससे पीडित लोगों को सुनने में भी दिक्कत होने की आम समस्या होती है।

मेनियार्स रोग

यह रोग कान के अंदरूनी भाग में अतिरिक्त तरल पदार्थ के निर्माण के कारण होता है। मेनियार्स रोग से पीड़ित लोगों को अक्सर वर्टिगो अटैक के अचानक, तीव्र एपिसोड का अनुभव होता है जो लंबे समय तक रहता है। उन्हें बहुत तेज चक्कर आता है,  उनके कानों में बजने, सुनने में कमी, या 'प्लग्ड' कान जैसे लक्षण का अनुभव होता है। मेनियार्स रोग का कारण क्या है इसे लेकर कोई ठोस कारण तो नहीं हैं पर यह आंतरिक कान, एलर्जी और सिर की चोटों के वायरल संक्रमण से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि वंशानुगत कारक भी एक भूमिका निभाते हैं।

वर्टिगो अटैक के अन्य कारण

कोलेस्टीटोमा

इस स्थिति में कान के परदे के पीछ या फिर कान के मध्य भाग में त्वचा की अनियमित वृद्धि हो जाती है। इसक कारण बार-बार होने वाला कान का पुराना संक्रमण हो सकता है।

ओटोस्क्लेरोसिस

ओटोस्क्लेरोसिस यानी कान के मध्य हिस्से में हड्डी की असामान्य वृद्धि की स्थिति। इसकी वजह से वर्टिगो अटैक यानी चक्कर के साथ ही सुनने में दिकक्त हो सकती है।

स्ट्रोक

मस्तिष्क में रक्त के थक्का या खून की ब्लीडिंग को स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है - इससे भी वर्टिगो अटैक के लक्षण पैदा हो सकते हैं।

अकॉस्टिक न्यूरोमा

यह एक गैर-कैंसर ट्यूमर है जो आंतरिक कान से आपके मस्तिष्क तक जाने वाली मुख्य नस पर विकसित होता है।

पार्किंसंस रोग

पार्किंसंस किसी भी व्यक्ति के मूवमेंट और संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को चक्कर आने का भी अनुभव हो सकता है। ऐसे लोगों को वर्टिगो अटैक अकसर आते हैं।

माइग्रेन

जिन लोगों को माइग्रेन होता है उनमें से लगभग 40 प्रतिशत लोगों को कभी न कभी चक्कर आने या संतुलन की समस्या भी होती है। इस तरह के वर्टिगो अटैक को  'वेस्टिबुलर माइग्रेन' या 'माइग्रेन से जुड़ी वर्टिगो' के रूप में जानी जाना जाता है।

मधुमेह

कभी-कभी मधुमेह से जटिलताओं के कारण धमनियां सख्त हो जाती हैं और मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे चक्कर आने के लक्षण दिखाई देते हैं।

गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान हार्मोन परिवर्तन, कम रक्त शर्करा के स्तर, एक विस्तारित गर्भाशय के कारण रक्त वाहिकाओं पर दबाव, या हृदय में रक्त ले जाने वाली नस पर बच्चे के दबाव के कारण हो सकता है।

चिंता

चिंता और पैनिक के कारण वर्टिगो अटैक के लक्षण महसूस हो सकते हैं।

हवा का दबाव

हवा के दबाव में परिवर्तन अंदरूनी कान में दबाव के अंतर पैदा करता है। यह आमतौर पर पानी के नीचे जाने या गोता लगाने के दौरान अनुभव किया जाता है। यह अल्टरनोबैरिक वर्टिगो नामक स्थिति पैदा कर सकता है। इससे भी वर्टिगो अटैक आ सकता है।

एलर्जी और दवाओं की वजह से भी कई बार लोगों को वर्टिगो अटैक हो सकते हैं। इसके अलावा कई बार शरीर की स्थिति बदलने, संतुलन बदलने पर भी ब्लड प्रेशर में बदलाव होता है और वर्टिगो अटैक हो सकता है।

वर्टिगो अटैक के लक्षण

वर्टिगो अटैक या चक्कर आने के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। समस्या के कारण इन लक्षणों के हल्के या गंभीर होने का आधार बन  सकते हैं। इसके  कुछ सामान्य संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं:

  • अचानक चक्कर आना
  • ऐसा महसूस हो रहा है कि आप घूम रहे हैं या घूम रहे हैं
  • आँखों द्वारा ध्यान केंद्रित करने में समस्या
  • एक कान में कम सुनाई देना
  • संतुलन की समस्या
  • कान में घंटी सुनाई देना
  • पसीना आना
  • उलटी अथवा मिचली
  • कुछ चीजें दो दिखना
  • निगलने में कठिनाई
  • चेहरे पर लकवा मार जाना
  • आंख चलाने में कठिनाइयों
  • बोलने में दिक्कत
  • हाथ पैर या पूरे शरीर में कमजोरी लगना

वर्टिगो अटैक का उपचार

वर्टिगो के लक्षणों का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाओं में शामिल हैं:

  • ड्रैमामाइन
  • एंटीवर्ट
  • वैलियम

इसके अलावा अगर वर्टिगो अटैक की समस्या बहुत ज्यादा है तो इसके लिए न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाना जरुरी है। कई बार न्यूरो फिजीशियन के साथ ही कान के डाक्टर से भी परामर्श लिया जाता है।

समस्या के आधार पर डाक्टर आपको दवा दे सकते हैं। यदि ब्रेन ट्यूमर या इस तरह की कोई समस्या हो तो डाक्टर सर्जरी की सलाह भी देते हैं। कभी-कभी दवाओं, इंजेक्शन, मनोचिकित्सा या शल्य चिकित्सा की आवश्यकता होती है। आपका डॉक्टर आपको यह तय करने में मदद कर सकता है कि कौन से विकल्प आपके लिए सबसे अच्छे हैं।

घरेलू उपचार और थेरैपी

वर्टिगो के लक्षणों की सहायता के लिए कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं।

  • कैनालिथ रिपोजिशनिंग प्रोसीजर
  • इसे इप्ले मैनोवर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय थेरेपी जिसमें आपके  कान के अंदरूनी हिस्से में कैनालिथ्स (कैल्शियम क्रिस्टल) को रिपोजिशन करने के लिए व्यायाम शामिल हैं। इसकी सफलता दर लगभग 80 प्रतिशत मानी जाती है। 
  • जीवन शैली में परिवर्तन
  • वर्टिगो के प्रभाव को कम करने में मदद करने वाले कदमों में शामिल हैं:
  • वर्टिगो अटैक गंभीर होने पर एक शांत, अंधेरे कमरे में लेटें
  • चक्कर आने का अहसास होते ही बैठ जाना
  • लक्षणों को ट्रिगर करने वाले मूवमेंट,जैसे उठना, ऊपर की ओर देखना या सिर को मोड़ना आदि को करने में जल्दबाजी ना करना
  • कुछ उठाने के लिए झुकने के बजाय स्क्वैट करना
  • चलते समय वाकिंग स्टिक का उपयोग करना
  • दो या दो से अधिक तकियों को  सिर के नीचे रखकर सोना
  • कुछ हर्बल समाधान लक्षणों को सुधारने में मदद कर सकते हैं। इसमे शामिल है:
  • लाल मिर्च,हल्दी,जिन्कगो बिलोबा,अदरक आदि।
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