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Last Updated: Oct 01, 2023
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गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों जरूरी होता है एनटी स्कैन

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Dr. Ravindra Shamrao ChaudhariGynaecologist • 40 Years Exp.Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)
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आज हम आपको न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन यानी कि एनटी स्कैन के विषय में जानकारी दे रहे हैं। लेकिन इस जानकारी से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर न्यूकल ट्रांसलुसेंसी है क्या? दरअसल, गर्भस्थ शिशु की गुद्दी मतलब सिर के पीछे गर्दन के क्षेत्र की त्वचा के नीचे तरल पदार्थ एकत्रित रहता है।  इसी तरल पदार्थ को न्यूकल ट्रांसलुसेंसी कहते हैं। 

जिन बच्चों में इस तरल पदार्थ की मात्रा काफी ज्यादा होती है, उन्हें डाउन सिंड्रोम या किसी अन्य विकार का खतरा होता है। इसी डाउन सिंड्रोम का पता लगाने के लिए एनटी स्कैन किया जाता है। यह महिलाओं की गर्भावस्था पहली तिमाही में होने वाले विस्तृत स्कैन का ही एक हिस्सा होता है। यह एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड स्कैन है।

एनटी स्कैन का महत्व

डाउन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चा मानसिक और शारिरिक विकारों से झूझता है। डाउन सिंड्रोम में बच्चा अपने 21वें गुणसूत्र की एक्स्ट्रा कॉपी के साथ पैदा होता है। जिसकी वजह से शिशु के शारीरिक विकास में देरी, चेहरे की विशेषताओं में फर्क और बौद्धिक विकास में देरी जैसे विकार आ जाते हैं। इसी डाउन सिंड्रोम का पता लगाने के लिए एनटी स्कैन किया जाता है। एनटी स्कैन सभी गर्भवती महिलाओं को कराना काफी आवश्यक होता है।

एनटी स्कैन का एक फायदा यह है कि यह गर्भावस्था में काफी पहले किया जाता है, जिससे आपको आगे की योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। पहली तिमाही में ही सीवीएस जांच करवाना और इसके परिणाम प्राप्त करना संभव है।

एनटी स्कैन कराने का सही समय

गर्भवती महिलाओं को एनटी स्कैन कराना काफी आवश्यक होता है। महिलाओं की यह जांच गर्भावस्था के पहले तिमाही में ही की जाती है। यह जांच 11 हफ्ते व दो दिन और 13 हफ्ते छह दिन के बीच किया जाता है। 12 सप्ताह की गर्भावस्था का समय इस जांच को कराने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। चूंकि 11 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले शिशु काफी छोटा होता है इसलिए एनटी स्कैन होना काफी मुश्किल हो जाता है। वहीं, 14 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद एनटी स्कैन करवाने में बहुत देर हो जाएगी, क्योंकि यदि कोई अतिरिक्त न्यूकल तरल हो, तो वह आपके शिशु के विकसित हो रही लसिका प्रणाली द्वारा अवशोषित किया जा सकता है। इसलिए जांच के सटीक परिणाम नहीं मिल सकेंगे।

एनटी स्कैन कराने से पहले की तैयारी

एनटी स्कैन कराने से पहले किसी प्रकार की विशेष तैयारी नहीं की जाती है। चूंकि एनटी स्कैन एक अल्ट्रासाउंड स्कैन है इसलिए डॉक्टर्स गर्भवती महिलाओं को  जांच के एक घंटे पहले तक पानी या जूस पीने और पेशाब न करने की की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पानी या जूस पीने से मूत्राशय पूरी तरह से भर जाता है और इस वजह से गर्भ में मौजूद बच्चे का चित्र काफी साफ़ दिखाई देने लगता है।

एनटी स्कैन करने का तरीका

एनटी स्कैन करते समय गर्भवती महिलाओं को किसी तरह का दर्द नहीं होता है। इस टेस्ट को करने  दौरान जांचकर्ता गर्भवती महिला के पेट पर एक विशेष प्रकार का जेल लगाता है और जांच करने वाली मशीन ट्रांसड्यूसर की सहायता से भ्रूण के चित्र को मॉनिटर पर देखता है। हालांकि इस दौरान कई बार चित्र को अच्छी तरह से देखने के लिए जांचकर्ता ट्रांसड्यूसर को कई बार थोड़ा दम लगाकर भी दबाता है। इस दौरान जांच करवा रही गर्भवती महिला दबाव जरूर महसूस करती है। इस

जांच के दौरान जांचकर्ता को मॉनिटर पर काले और सफेद रंग की कुछ आकृतियां दिखाई देती हैं। मॉनिटर में दिखने वाली काले रंग की आकृतियां तरल और सफेद भ्रूण की त्वचा को प्रदर्शित करता है। जब एक बार टेस्ट पूरा हो जाता है, तो त्वचा से जेल को उतार दिया जाता है और महिला को पेशाब करने की अनुमति दे दी जाती है।

इसी जांच के माध्यम से जांचकर्ता गर्भवती महिलाओं के गर्भ में मौजूद शिशु के गर्दन के पीछे स्थित तरल पदार्थ का अनुमान लगाता है। यदि गर्दन के पीछे मौजूद टिशू की मोटाई अधिक प्रदर्शित हो रही है तो तरल पदार्थ की मात्रा अधिक मानी जाती है। इसी को डाउन सिंड्रोम या अन्य आनुवंशिक विकार के जोखिम की आशंकाओं के तौर पर देखा जाता है।

कई बार गर्भाशय पीछे की तरफ झुका हुआ होने पर या गर्भवती महिलाओं का वजन सामान्य से ज्यादा होने पर अल्ट्रासाउंड के दौरान गर्भ में मौजूद शिशु का चित्र स्पष्ट नजर नहीं आता है। ऐसी सूरत में डॉक्टर्स गर्भवती महिलाओं की जांच योनि के जरिये स्कैन यानी कि ट्रांसवेजाइनल स्कैन करवाने के लिए कहते हैं। इस टेस्ट के पहले पेशाब करके मूत्राशय खाली करना होता है। यह जांच भी गर्भवती महिला और उसके शिशु के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।

इस जांच के दौरान जांचकर्ता गर्भ में मौजूद शिशु के सिर से रीढ़ के निचले हिस्से तक की माप करते हैं, जिससे उनके गर्भावस्था का सटीक समय पता करने की काफी मदद मिलती है। इसके बाद शिशु की गर्दन के पीछे स्थित तरल पदार्थ यानी कि न्यूकल ट्रांसलुसेंसी की मोटाई भी मापते हैं। आमतौर पर स्क्रीन पर शिशु का सिर, अंगों, हाथों और पैरों को देखा जा सकता है।

एनटी स्कैन करने में लगने वाला समय

यह एक सामान्य अल्ट्रासाउंड प्रक्रिया है, इसलिए यह जांच करने में ज्यादा समय नहीं लगता है। यह जांच लगभग 30 मिनट में हो जाती है। 

  • एनटी स्कैन के परिणाम
  • एनटी स्कैन के परिणाम की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए इसकी वैल्यू पता होना आवश्यक है। 11 सप्ताह पर तरल की मात्रा लगभग 2 mm तक होनी चाहिए। जबकि 13 सप्ताह और छह दिन पर तरल की मात्रा करीब 2.8 mm तक होनी चाहिए।
  • एनटी स्कैन के परिणाम आने में लगने वाला समय
  • एनटी स्कैन के परिणाम आने में ज्यादा समय नहीं लगता है। यदि यह जांच किसी डायग्नोस्टिक सेंटर में की जाती है, तो कुछ घंटों में रिपोर्ट मिल सकती है। इसके अनुसार डॉक्टर के साथ अप्वाइंटमेंट तय कर सकते हैं, ताकि स्कैन के परिणामों पर चर्चा कर सकें।

एनटी स्कैन के लाभ

एनटी स्कैन करवाने के बहुत से लाभ होते हैं। इसकी मदद से समय रहते पता चल सकता है कि गर्भ में मौजूद शिशु में कोई बीमारी तो नहीं है। इसके साथ ही यदि बच्चे में कोई अनुवांशिक रोग है तो उसका पता भी लगा सकते हैं। इसके साथ-साथ बच्चे में भ्रूण के विकास संबंधी विकार, आनुवंशिक विकार, हृदय संबंधी दोष, गर्भपात और गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु की आशंकाओं के बारे में पता लगाया जा सकता है।

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