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Last Updated: Sep 03, 2024
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चिंता के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, डॉक्टर

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Dr. Arijit Dutta ChowdhuryPsychiatrist • 24 Years Exp.MBBS, MD - Psychiatry, Diploma in Psychological Medicine
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रोज़मर्रा की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में चिंता होना आम बात है ।पर यही चिंता अगर आपके मन में स्थायी रूप से घर बना ले तो बीमारी का रूप ले लेती है। दरअसल चिंता आपके मस्तिष्क का तनाव पर प्रतिक्रिया करने का तरीका है। किसी ना किसी बात पर हम सभी चिंता करते हैं। कभी कभार होने वाली चिंता कोई बड़ी बात नहीं।  लेकिन लगातार चिंता में घिरे रहना औऱ उसके कारण बेचैनी महसूस करना खतरनाक हो सकता है।अत्यधिक चिंता आपको काम, स्कूल, पारिवारिक मेलजोल और अन्य सामाजिक स्थितियों से बचने के लिए प्रेरित कर सकती है। और ऐसा करने से आपके लक्षण और बिगड़ सकते हैं। हालांकि इससे सही तरीके से निपटा जाए तो आफ सामान्य स्थिति में आसानी से लौट सकते हैं।

चिंता के प्रकार

चिंता का रोग कई प्रकार का होता है:

सामान्य चिंता

इस स्थिति में आपको छोटी छोटी बातों पर भी ज्यादा चिंता होती है और तनाव महसूस होता है।

चिंता के साथ घबराहट (पैनिक अटैक) की समस्या

किसी बात पर परेशान होकर आप अचानक भय महसूस करते हैं जो एक पैनिक अटैक का कारण बनता है। पैनिक अटैक के दौरान आपको पसीना आ सकता है, सीने में दर्द हो सकता है, और दिल की धड़कन तेज़ हो सकती है। आपको सांस लेने में दिक्कत भी महसूस हो सकती है।

सामाजिक चिंता

इसे सोशल फ़ोबिया भी कहा जाता है, यह तब होता है जब आप रोज़मर्रा की सामाजिक स्थितियों के बारे में अत्यधिक चिंता महसूस करते हैं। आप इस बात की बहुत अधिक चिंता करते हैं कि दूसरे आपको जज तो नहीं कर रहे हैं।

विशिष्ट भय

आप किसी विशिष्ट वस्तु या स्थिति से तीव्र भय महसूस करते हैं।

भीड़ से डर लगना

आपको ऐसी जगह पर होने का तीव्र भय होता है जहां बहुत भीड़भाड़ हो।

चिंता विकार लक्षण

चिंता विकारों का मुख्य लक्षण अत्यधिक भय या चिंता है। चिंता विकार भी सांस लेने, सोने, स्थिर रहने और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई कर सकते हैं। आपके विशिष्ट लक्षण आपके चिंता विकार के प्रकार पर निर्भर करते हैं।

चिंता या एंज़ायटी के सामान्य लक्षण हैं:

  • डर और बेचैनी
  • घबराहट होना
  • नींद ना आना
  • ठंडा, पसीना आना, दिमाग का सुन्न पड़ जाना या हाथ या पैर में झुनझुनी होना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • सामान्य से अधिक तेज और अधिक तेजी से सांस लेना (हाइपरवेंटिलेशन)
  • दिल घबराना
  • मुँह सूखना
  • जी मिचलाना
  • तनावपूर्ण मांसपेशियां
  • चक्कर आना
  • किसी समस्या के बारे में लगातार सोचना
  • ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता

चिंता या एंज़ायटी के कारण

  • आनुवंशिक - एंज़ायटी की समस्या अनुवांशिक हो सकती है।यानी परिवार के औऱ भी सदस्यों में चिंता जैसे विकार हो सकते हैं।
  • ब्रेन केमिस्ट्री - जानकार मानते हैं कि एंज़ायटी का कारण मस्तिष्क में मौजूद रसायनों में गड़बड़ी हो सकती है।
  • एनवायरमेंटल एंज़ायटी -  यह उन तनावपूर्ण घटनाओं से होती है जिन्हें आपने देखा या जिया है। अक्सर बचपन में दुर्व्यवहार और उपेक्षा, किसी प्रियजन की मृत्यु, या दुर्घटना के कारण ऐसी एंज़ायटी होती है।
  • नशीली दवाओं की लत - शराब और मादक पदार्थों के सेवन से या नशीली दवाओं के कारण ये एंज़ायटी हो सकती है।
  • चिकित्सा दशाएं - हृदय, फेफड़े और थायरॉयड की बीमारी से ग्रसित लोगों को भी चिंता औऱ घबराहट के लक्षण हो सकते हैं।

चिंता विकार के उपचार

चिंता विकार या एंज़ायटी के लक्षणों को कम करने के लिए कई तरह के उपचार हैं। आमतौर पर एंज़ायटी डिसऑर्डर से पीड़ित लोग दवा के साथ काउंसलिंग की मदद लेते हैं। चिंता विकार के उपचारों में शामिल हैं:

एंटी डिप्रेसेंट

आधुनिक एंटीडिप्रेसेंट आमतौर पर चिंता विकार वाले किसी व्यक्ति को दी जाने वाली पहली दवा होती है।

बीटा ब्लॉकर्स

यदि आपको चिंता या एंज़यटी के कारण शारीरिक लक्षण दिख रहे हैं, जैसे कि दिल का तेज़ी से धड़कना या कंपकपाहट तो एक बीटा-ब्लॉकर आपको तीव्र पैनिक अटैक के दौरान आराम करने में मदद कर सकता है।

एंटीकनवलसेंट

ये उन लोगों को दिए जाते हैं जिन्हे मिर्गी या किसी प्रकार का दौरा पड़ता है। यह एंज़ायटी से पीड़ित लोगों में लक्षणों से भी छुटकारा दिला सकती हैं।

एंटी साइकॉटिक

पैनिक अटैक का शिकार होने वाले लोगों को इन दवाओं के ज़रिए भि आराम पहुंचाने की कोशिश की जाती है।

डाक्टर द्वारा साइकोथेरेपी या काउंसिलिंग

मनोचिकित्सा से आपको यह जानने में मदद करती है कि आपकी भावनाएं आपके व्यवहार को कैसे प्रभावित करती हैं। इसे कभी-कभी टॉक थेरेपी कहा जाता है। एक प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपके विचारों और भावनाओं के बारे में सुनता है और आपसे बात करता है।वह आपके चिंता विकार को समझने और प्रबंधित करने के तरीके सुझाता है।

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी): यह सामान्य प्रकार की मनोचिकित्सा आपको नकारात्मक, या घबराहट पैदा करने वाले, विचारों और व्यवहारों को सकारात्मक में बदलना सिखाती है। आप बिना किसी चिंता के भयभीत या चिंताजनक स्थितियों को ध्यान से देखने और प्रबंधित करने के तरीके सीखते हैं।

चिंता विकार के लक्षणों का प्रबंधन कैसे करें

ये सुझाव आपके लक्षणों को नियंत्रित या कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं:

  • अपनी एंड़ायटी को अच्छी तरह से समझें औक खुलकर इसपर अपने चिकित्सक से बात करें।
  • चिकित्सक द्वार बताए गए उपचार का पालन करते रहें। कोई भी दवा अचानक बंद ना करें।
  • कॉफी, चाय, कोला, एनर्जी ड्रिंक और चॉकलेट जैसे कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में कटौती करें।
  • शराब और और नशीले पदार्थों का प्रयोग न करें।
  • पौष्टिक भोजन लें और नियमित रूप से व्यायाम करें। जॉगिंग और बाइकिंग जैसे तेज एरोबिक व्यायाम तनाव को कम करते हैं और आपके मूड को बेहतर बनाते हैं।
  • बेहतर और भरपूर नींद लें। समय पर सोएं और नींद ना आती हो तो अपने डॉक्टर से बात करें।
  • योग और ध्यान लगाने के अभ्यास करें। ये आपके मन को शांत करेंगे।
  • अपने दिनभर के क्रिया कलाप को एक डायरी में लिखने की आदत डालें। ये आपकी चिंता को वेंटआउट करने का साधन हो सकता है।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें। आच्छी और सकारात्मक सोच रखने का प्रयास करें।
  • दोस्तों के साथ मेलजोल बनाए रखें। चाहे वह व्यक्तिगत रूप से हो, फोन पर या किसी और माध्यम से पर सामाजिक संपर्क आपको मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करता है।
  • दूसरों से सहायता मांगने में हिचकिचाएं नहीं। कुछ लोगों को दूसरों से बात करने में मदद मिलती है । इसलिए अपनी चिंताओं के बारे में किसी से बात करें।
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