जानिये किस हद तक आपको प्रभावित कर सकता है हॉजकिन लिंफोमा
पौष्टिक तत्वों की कमी और कन्या कारणों से शरीर में कई तरह की बीमारियां होने की संभावना रहती है। इनमें से कुछ बीमारियां तो इतनी खतरनाक होती हैं, जिसमें इंसान की जान तक चली जाती है। ऐसी ही एक बीमारी है हॉजकिन लिंफोमा। इस बीमारी की गिनती भी खतरनाक बीमारियों में ही की जाती है। चलिए इस बीमारी के विषय में सारांश से चर्चा करते हैं और इस बीमारी के लक्षणों और इलाज के बारे में जानते हैं। साथ ही यह भी जानते हैं कि आखिर यह बीमारी क्यों होती है।
क्या है हॉजकिन लिंफोमा
दरअसल, हॉजकिन लिंफोमा एक प्रकार का कैंसर है जो लसीका प्रणाली को प्रभावित करता है। यह लसीका प्रणाली शरीर की रोगाणु से लड़ने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है। इस बीमारी में लिम्फोसाइट्स नामक श्वेत रक्त कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, जिससे पूरे शरीर में सूजन लिम्फ नोड्स और वृद्धि हो जाती है। आपको बता दें कि लसिका तंत्र अंगों और ऊतकों से मिलकर बना होता है। इनमें लसिका ग्रंथियां, लसिका वाहिकाएं, टॉन्सिल, बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहां खून बनता है),तिल्ली/प्लीहा और बाल्यग्रन्थि शामिल हैं। हॉजकिन लिंफोमा के निदान और उपचार में हो रही प्रगति इस बीमारी से पीड़ित लोगों को पूरी तरह से ठीक होने का मौका दे रही है।
हॉजकिन लिंफोमा के प्रकार
हॉजकिन लिंफोमा मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं-
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया: हड्डियों के अंदर स्पंजी ऊतक जहां रक्त कोशिकाएं बनती हैं, वहां होने वाले कैंसर को लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया कहा जाता है। क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया में क्रोनिक शब्द इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि इस प्रकार का ल्यूकेमिया आमतौर पर अन्य प्रकार के ल्यूकेमिया की तुलना में अधिक धीरे-धीरे बढ़ता है। वहीं लिम्फोसाइटिक सफेद रक्त कोशिकाओं के एक समूह को कहा जाता है। यह समूह शरीर की संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
त्वचीय बी-सेल लिंफोमा: त्वचीय बी-सेल लिंफोमा एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो श्वेत रक्त कोशिकाओं में शुरू होता है। यह कैंसर त्वचा पर हमला करता है। त्वचीय बी-सेल लिंफोमा एक प्रकार की रोगाणु-विरोधी सफेद रक्त कोशिका में शुरू होता है जिसे बी कोशिकाएं कहा जाता है। इन कोशिकाओं को बी लिम्फोसाइट्स भी कहा जाता है।
त्वचीय टी-सेल लिंफोमा: त्वचीय टी-कोशिका लिंफोमा (सीटीसीएल) एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो सफेद रक्त कोशिकाओं में शुरू होता है जिन्हें टी कोशिकाएं (टी लिम्फोसाइट्स) कहा जाता है। ये कोशिकाएं आम तौर पर आपके शरीर की रोगाणु से लड़ने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करती हैं। त्वचीय टी-सेल लिंफोमा में, टी कोशिकाएं असामान्यताएं विकसित करती हैं जो उन्हें त्वचा पर हमला करती हैं। त्वचीय टी-कोशिका लिंफोमा त्वचा पर दाने जैसी लालिमा, त्वचा पर थोड़ा उठा हुआ या पपड़ीदार गोल पैच, और कभी-कभी त्वचा ट्यूमर का कारण बन सकता है।
लिंफोमा: लिंफोमा लसीका प्रणाली का एक कैंसर है। यह लसिका प्रणाली शरीर के रोगाणु-विरोधी नेटवर्क का हिस्सा है। लसीका प्रणाली में लिम्फ नोड्स (लसीका ग्रंथियां), प्लीहा, थाइमस ग्रंथि और अस्थि मज्जा शामिल हैं। लिंफोमा उन सभी क्षेत्रों के साथ-साथ पूरे शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
हॉजकिन लिंफोमा के लक्षण
हॉजकिन लिंफोमा नामक बीमारी होने पर आपके शरीर में निम्नलिखित बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
- गर्दन, बगल या ग्रोइन में दर्द रहित सूजन
- लगातार थकान
- बुखार
- रात को पसीना
- बिना कोशिश किए वजन कम होना
- गंभीर खुजली
- शराब पीने के बाद आपके लिम्फ नोड्स में दर्द
- अगर आपको आपके शरीर में इस तरह के कोई भी परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करना चाहिए।
इन लोगों को है हॉजकिन लिंफोमा का ज्यादा खतरा
- ज्यादातर 20 और 30 वर्ष की उम्र और 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोग हॉजकिन लिंफोमा की चपेट में आते हैं ।
- अगर पहले किसी को हॉजकिन लिंफोमा हुआ है तो उसके रक्त संबंधी को यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
- महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में हॉजकिन लिंफोमा होने का ख़तरा ज्यादा होता है।
- जिन लोगों को एपस्टीन-बार वायरस के कारण संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस जैसी बीमारियां हुई हैं उन लोगों में हॉजकिन लिंफोमा विकसित होने की अधिक संभावना है।
- जो लोग एचआईवी से संक्रमित हैं उनमें भी हॉजकिन लिंफोमा का खतरा बढ़ जाता है।
हॉजकिन लिंफोमा होने के कारण
वैसे तो अभी तक डॉक्टर्स इस बात से पूरी तरह से वाकिफ नहीं है कि आखिर हॉजकिन लिंफोमा होने के पीछे के कारण क्या है। लेकिन उनका मानना है कि जब संक्रमण से लड़ने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं (लिम्फोसाइट्स) के डीएनए में परिवर्तन होता है। दरअसल, डीएनए के माध्यम से ही सेल को संकेत मिलते हैं कि करना करना है।
डीएनए लिंफोमा के रूप में परिवर्तित हो चुकी इन परिवर्तित कोशिकाओं को तेजी से बढ़ने और उन कोशिकाओं की जगह लेने का निर्देश देती हैं जिससे अन्य कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से मर जाती हैं। यह लिंफोमा कोशिकाएं परिवर्तित हो चुकी अन्य कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद तो करती ही हैं, साथ ही कई स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं को बदलने के लिए आकर्षित भी करती हैं। जब इन परिवर्तित कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है तो अतिरिक्त कोशिकाएं लिम्फ नोड्स में जमा हो जाती हैं और सूजन या अन्य हॉजकिन के लिंफोमा लक्षण पैदा करती हैं।
हॉजकिन लिंफोमा से बचाव
चूंकि अभी हॉजकिन लिंफोमा के कारणों की सटीक जानकारी नहीं हो सकी है, इसलिए अभी तक इसके बचाव की भी ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं है। हालांकि अगर आपको आपके शरीर में हॉजकिन लिंफोमा के कोई लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए और इसके उपचार को लेकर विस्तार से चर्चा करना चाहिए। इसके साथ ही अगर आपके किसी रक्त संबंधी को पहले यह बीमारी हो चुकी है तो इस बात को भी डॉक्टर से बतानी चाहिए। इसके अलावा अगर आपको हॉजकिन लिंफोमा होने का डर है तो भी आपको डॉक्टर से मिलकर उपचार को लेकर चर्चा करनी चाहिए।
हॉजकिन लिंफोमा का परीक्षण
हॉजकिन लिंफोमा का इलाज करने से पहले डॉक्टर आपसे हॉजकिन लिंफोमा के लक्षणों पर चर्चा करेंगे, फिर निम्नलिखित प्रकार के परीक्षण करेंगे।
शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछने के बाद शारीरिक परीक्षण कर सकता है। इस दौरान सूजी हुई लिम्फ नोड्स की जांच हो सकती है, जिसमें आपकी गर्दन, अंडरआर्म और ग्रोइन के साथ-साथ सूजी हुई प्लीहा या लीवर भी शामिल है। इस दौरान डॉक्टर लिम्फ नोड्स से एक ऊतक बाहर निकालते हैं और प्रयोगशाला में उसकी जांच करते हैं। इस जांच के दौरान डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि इस सूजन की वजह कैंसर तो नहीं।
रक्त परीक्षण: डॉक्टर रक्त परिक्षण के माध्यम से भी आपके कैंसर के लक्षणों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। इस जांच के माध्यम से डॉक्टर को लीवर, गुर्दे व अन्य अंगों के कार्य की जानकारी मिल जाती है।
इमेजिंग परीक्षण: शरीर के अन्य क्षेत्रों में हॉजकिन लिंफोमा के लक्षणों को देखने के लिए डॉक्टर इमेजिंग परीक्षण का उपयोग करते हैं। इस परीक्षण के दौरान एक्स-रे, सीटी और पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) शामिल हो सकते हैं।
बोन मैरो बायोप्सी: शरीर में हॉजकिन लिंफोमा के लक्षण दिखने पर डॉक्टर इस बात का पता लगाने की कोशिश करते हैं कि कहीं लिंफोमा ने आपकी बोन मैरो को अपनी चपेट में लेना शुरू तो नहीं कर दिया है। इसके लिए डॉक्टर सुई की माध्यम से आपके हिप बोन मैरो से एक नमूना प्राप्त करता है और सूक्षमदर्शी की मदद से उस नमूने की जांच करता है।
गैलियम स्कैन: इस परीक्षण को तब किया जाता है जब पूरे शरीर के जांच की आवश्यकता होती है। इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर सुई के माध्यम से एक प्रकार के विशेष धातु रेडियोधर्मी गैलियम को आपके शरीर में इंजेक्ट कर देते हैं, जो कुछ दिनों में पूरे शरीर में फ़ैल जाता है। इसके बाद डॉक्टर एक विशेष कैमरे की मदद से आपके पूरे शरीर को देखते हैं और हॉजकिन लिंफोमा का परीक्षण करते हैं।
आपकी स्थिति के आधार पर अन्य परीक्षणों और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जा सकता है।
हॉजकिन लिंफोमा के चरण
आपके शारीरिक परीक्षणों के आधार पर डॉक्टर हॉजकिन लिंफोमा का चरण निर्धारित करते हैं। यह चरण आपकी स्थिति की गंभीरता को समझने और उपचार के प्रकार का चयन करने में मदद करते हैं। हॉजकिन लिंफोमा के चरण को इंगित करने के लिए 1 से 4 की संख्या का उपयोग किया जाता है। संख्या जितनी छोटी होती है, उस कैंसर के ठीक होने की संभावना उल्टी ही अधिक होती है। एक उच्च संख्या का अर्थ है कि कैंसर अधिक उन्नत है।
हॉजकिन लिंफोमा का उपचार
हॉजकिन लिंफोमा का उपचार उसके चरण पर निर्भर करता है। यह उपचार निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-
- बायोलॉजिक थेरेपी: इस तरह के उपचार नशीली दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके माध्यम से शरीर में सूक्ष्मजीवों को डाला जाता है। ये सूक्ष्मजीव आपकी रक्षा प्रणाली को कैंसर की कोशिकाओं पर हमला करने के लिए उत्तेजित करती हैं।
- एंटीबॉडी उपचार: इस उपचार के तरह सिंथेटिक एंटीबॉडी को शरीर में अंदर खून में डाला जाता है, जो कैंसर के प्रतिजनों से लड़ सके।
- कीमोथेरेपी: इस तरह के उपचार के दौरान ऐसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है को कैंसर कोशिकाओं को मारने में आक्रामकता दिखाए।
- रेडियोईमयूनोथेरेपी: इसमें उच्च-स्तरीय रेडियोएक्टिव (रेडियोधर्मी) खुराक दी जाती है, जो कैंसर की सभी कोशिकाओं को नष्ट कर सके।
- रेडिऐशन थेरेपी: जब कैंसर शरीर में छोटी सी जगह को अपने चपेट में लिए होता है तो इस प्रकार के उपकार का प्रयोग किया जाता है।
- स्टेरॉयड दवा: हॉजकिन लिंफोमा के इलाज के दौरान मरीज के शरीर में इंजेक्शन की मदद से स्टेरॉयड इंजेक्ट किया जाता है