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Last Updated: Sep 08, 2023
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पित्ताशय की पथरी के लक्षण - Pittashay Ki Pathari Ke Lakshan!

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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पित्त की पथरी या गाॅलस्टोन एक बेहद भयंकर और पीड़ादायक रोग है. यह एक बहुत ही सामान्य समस्या है. इस दौरान गाॅलब्लैडर में कोलेस्ट्रॉल और पिग्‍मेन्‍ट नामक दो तरह के पदार्थ बनते हैं. हालांकि अस्सी प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती हैं. जब पित्ताशय अधिक कोलेस्ट्रॉल को नहीं गला पाते है, तब यह धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेता है. पथरी का आकार चावल के दाने से छोटा और टेबल टेनिस बॉल जितना बड़ा होता है. पित्त की पथरी को घरेलू उपचार के माध्‍यम से ठीक किया जा सकता है. आमतौर पर तो पित्ताशय की पथरी के कोई खास लक्षण नजर नहीं आते लेकिन फिर भी आइए इस लेख में पित्ताशय के पथरी के विशिष्ट लक्षणों के बारे में जानें.

पेट या पीठ में दर्द-
पित्ताशय की पथरी के मरीजों में वैसे तो आमतौर पर लक्षण नहीं नजर आते लेकिन कुछ विशिष्ट लक्षणों में से एक ये है कि इस दौरान आपको पेट या पीठ के ऊपरी हिस्से में बहुत तेज दर्द का अनुभव हो सकता है.

पेट और आंत संबंधी-
हमें पित्ताशय के पथरी के शिकार मरीजों में ये भी दिखता है कि उन्हें पेट और आंत संबंधी परेशानियाँ होने लगती हैं. जैसे कि उन्हें अपच, उल्टी, या मतली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसी समस्याओं के दिखने पर आपको चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

केवल पेट संबंधी-
इस बीमारी के शिकार लोगों में कई बार केवल पेट संबंधी समस्याएं भी नजर आती हैं. इन लोगों को असहजता या पित्ताशय की पथरी से ऐंठन जैस कई परेशानियों से दो चार होना पड़ सकता है.
बचाव के कुछ उपचार

सेब का रस और सिरका-
रोजाना सेब खाने से डॉक्टर को दूर रखा जा सकता है. इसलिए एक गिलास सेब के रस में सेब साइडर सिरका का एक बड़ा चम्मच मिलाकर नियमित रूप दिन में एक बार सेवन करना चाहिए. सेब में मेलिक एसिड होता है जो पित्त पथरी नरमी में सहायता करता है और सिरका पत्थर के कारण कोलेस्ट्रॉल बनाने से लीवर को रोकता है. यह एक पित्त की पथरी के हमले के दौरान दर्द को कम करने एक त्वरित उपाय है.

नाशपती-
नाशपती खाने के कई फायदे होते हैं. यह गाॅलब्लैडर स्टोन के निदान के लिए बहुत ही कारगर होती है. नाशपाती में पेक्टिन पायी जाती है जो इन स्टोन को आसानी से फ्लश आउट करने के लिए कोलेस्ट्रॉल से भरे गाॅलस्टोन को बांधता है.

चुकंदर, खीरा और गाजर का रस-
गाॅलब्लैडर की थैली को साफ और स्वस्थ रखने और लीवर की सफाई के लिए चुकंदर का रस, ककड़ी का रस और गाजर के रस को समान मात्रा में मिलाएं. यह मिश्रण पेट और ब्लड की सफाई में भी मदद करता है. खीरे में पानी, और गाजर में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होती है जो मूत्राशय से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है.

सिंहपर्णी-
सिंहपर्णी के पत्ते लीवर, ब्लैडर के कार्य में मदद करता है साथ ही पित्त उत्सर्जन को बढ़ावा और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं. एक कैप पानी में एक चम्‍मच सिंहपर्णी के पत्तों को मिलाये और फिर इसे अवशोषित करने के‍ लिये पांच मिनट रख दें. अब इसमें एक चम्‍मच शहद मिलाये. डायबिटीज मरीजों को इस उपचार से बचना चाहिए.

पुदीना-
पुदीने में टेरपेन नामक प्राकृतिक तत्‍व होता है, जो पित्त से पथरी को घुलाने के लिए जाना जाता है. यह पित्त प्रवाह और अन्य पाचक रस को उत्तेजित करता है, इसलिए यह पाचन में भी सहायक होता है. पित्त की पथरी के लिए घरेलू उपाय के रूप में पुदीने की चाय का इस्‍तेमाल करें.

इसबगोल-
एक उच्च फाइबर आहार, पित्ताशय की थैली की पथरी के इलाज के लिए बहुत आवश्यक है. इसबगोल घुलनशील फाइबर का अच्‍छा स्रोत होने के कारण पित्त में कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और पथरी के गठन को रोकने में मदद करता है. आप इसे अपने अन्‍य फाइबर युक्त भोजन के साथ या रात को बिस्‍तर पर जाने से पहले एक गिलास पानी के साथ ले सकते हैं.

नींबू का रस-
नींबू का रस प्रकृतिक रूप से अम्लीय होने के कारण यह सिरके की तरह कार्य करता है और लीवर में कोलेस्ट्रॉल को बनने से रोकता है. हर रोज खाली पेट चार नींबू का रस लें. इस प्रक्रिया को एक हफ्ते तक अपनाएं. इससे पथरी की समस्या आसानी से दूर हो सकती है.

लाल शिमला मिर्च-
2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, शरीर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पथरी की समस्‍या कम करता है. एक लाल शिमला मिर्च में लगभग 95 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, यह मात्रा पथरी को रोकने के लिए काफी होती है. इसलिए अपने आहार में शिमला मिर्च को शामिल करें.

वाइन-
शोधकर्ताओं ने पाया कि 1/2 गिलास वाइन पित्त की पथरी के हमलों को लगभग चालीस प्रतिशत तक कम कर सकता है. इसलिए वाइन के एक गिलास को अपनी दिनचर्या में शमिल करें इससे ज्यादा नहीं.

साबुत अनाज-
पानी में घुलनशील फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों जैसे साबुत अनाज और अन्य अनाज को अपने आहार में भरपूर मात्रा में शामिल करें. फाइबर कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम कर स्वाभाविक रूप से पथरी को बनने से रोकने में मदद करते हैं.

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