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Last Updated: Sep 26, 2023
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जानें गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग का इलाज करने के तरीके

Dr. Vishal Khuran0Gastroenterologist
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क्य़ा खाना खाने के बाद अकसर आपको एसिडिटी की समस्या होती है। रात को अधिक  खाना खाने या देर से खाना खाने पर पेट का तरल पदार्थ गले में भरने लगता है। तो आपको जीईआरडी की समस्या हो सकती है। जीईआरडी यानी गैस्ट्रोईसोफेगल रिफ्लक्स रोग  तब होता है जब पेट का एसिड बार-बार आपके मुंह और पेट (ग्रासनली) को जोड़ने वाली नली में वापस आ जाता है। यह बैकवाश (एसिड रिफ्लक्स) आपके अन्नप्रणाली की लाइनिंग को परेशान कर सकता है। बहुत से लोग समय-समय पर एसिड रिफ्लक्स का अनुभव करते हैं। हालांकि, जब एसिड रिफ्लक्स समय के साथ बार-बार होता है, तो यह जीईआरडी का कारण बन सकता है।

अधिकांश लोग जीवनशैली में बदलाव और दवाओं के साथ जीईआरडी की परेशानी का प्रबंधन करने में सक्षम होते हैं। हालांकि ज्यादा गंभीर मामलों में लक्षणों को कम करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। जीईआरडी के लक्षण:

  • आमतौर पर खाने के बाद सीने में जलन जो रात में या लेटते समय बढ़ जाती है
  • भोजन या खट्टे तरल का गले में आ जाना
  • ऊपरी पेट या सीने में दर्द
  • निगलने में परेशानी (डिस्फेजिया)
  • आपके गले में एक गांठ की अनुभूति
  • एसिड रिफ्लक्स होने पर तोज़ खांसी आना और वोकल कॉर्ड्स की सूजन (लैरींगाइटिस)

जीईआरडी का प्रबंधन

कुछ लोग अपनी जीईआरडी का इलाज करने के लिए घरेलू उपचार से शुरुआत करना पसंद कर सकते हैं। कई बार जीवनशैली में बदलाव से पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर चिकित्सा की भी आवश्यकता होती है। इस समस्या के लिए जिन घरेलू उपचारों का सहारा भी लिया जा सकता है उनमें शामिल हैं:

1. बेकिंग सोडा और पानी का घोल पीना

बेकिंग सोडा स्वभाव क्षारीय होता है, इसमें अम्लता को बेअसर करने की क्षमता होती है। पर यह ज्यादातर छोटी खुराक में सेवन करने के लिए सुरक्षित है। हालांकि बेकिंग सोडा में सोडियम की मात्रा अधिक होती है, और यदि आप इसका बहुत अधिक सेवन करते हैं तो इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।आप एक ग्लास पानी में करीब 2 चुटकी सोडा डालकर पी सकते हैं।

2. च्यूइंग गम चबाना

च्यूइंग गम चबाने से आपके मुंह में बहुत अधिक लार बनती है।यह लार थोड़ी क्षारीय होती है। खाने के बाद यदि च्युइंग गम चबाया जाए तो आपके मुंह और गले में अम्लता को बेअसर करने में मदद मिल सकती है। इससे पाचन आसान होता है और एसिडिटी से राहत मिल सकती है।

3. अदरक का सेवन करना

अदरक मतली और खट्टे पेट जैसी समस्याओं के लिए एक सामान्य घरेलू उपचार है।इसमें एंटी इंफ्लेमटरी गुण और पाचन सुगम बनाने वाले गुण होते हैं जो रिफ्लक्स को नियेंत्रित कर सकते हैं। अदरक को पानी में उबालकर काढ़े के रूप में पी सकते हैं। इसके अलावा अपने खाने में अदरक का अधिक इस्तेमाल करें। सलाद में भी अदरक का प्रयोग करें जिससे इसके औषधीय गुणों का लाभ आपके मिल सके।

4. दूध का सेवन

अपनी प्राकृतिक क्षारीयता के कारण, दूध एक और घरेलू उपचार है जिसे अक्सर एसिडिटी के लक्षणों को कम करने के लिए लिया जाता है।एक ग्लास पानी में आधा कप ठंडा दूध मिलाकर पीने से इसके लक्षणों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

5. वजन नियंत्रित रखें

जीईआरडी उन वयस्कों में सबसे अधिक प्रचलित है जो अधिक वजन वाले या मोटे हैं।अधिक वजन खासकर पेट को आसपास का मोटापा पेट पर अधिक दबाव डालता है। नतीजतन, आपको पेट का एसिड एसोफैगस में वापस आने की पूरी आशंका बनी रहती है। सुनिश्चित करें कि आप स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम करें पका वज़न नियंत्रित रहे औऱ रिफ्लक्स की समस्या कम हो सके।

6. धूम्रपान से बचें

यदि आपको धूम्रपान छोड़ने के लिए किसी कारण की आवश्यकता है, तो रिफ्लक्स उनमें से एक है। यह रिफ्लक्स को बढ़ावा देने का ज़िम्मेदार हो सकता है।दरअसल धूम्रपान निचले एसोफेजियल स्फिंक्टर (एलईएस) को नुकसान पहुंचाता है, जो पेट के एसिड को बैक अप लेने से रोकने के लिए ज़िम्मेदार है। जब एलईएस की मांसपेशियां धूम्रपान से कमजोर हो जाती हैं, तो आपको बार-बार रिफलक्स का अनुभव हो सकता है। यही नहीं यदि आप एसिड रिफ्लक्स या जीईआरडी से लड़ रहे हैं तो सेकेंड हैंड स्मोक भी समस्या बढ़ा सकता है।

7. अपने बिस्तर के सिरहाने को ऊपर उठाएं

यदि सोते समय नियमित रूप से रिफल्कस का अनुभव होता है, तो अपने बिस्तर के पैरों के नीचे लकड़ी या सीमेंट के ब्लॉक रखें ताकि सिर का सिरा 6 से 9 इंच ऊपर उठ जाए। यदि आप अपने बिस्तर को ऊपर नहीं उठा सकते हैं, तो आप अपने शरीर को कमर से ऊपर उठाने के लिए अपने गद्दे की मोटाई बढ़ा सकते हैं। अतिरिक्त तकियों के साथ सिर्फ अपना सिर उठाना प्रभावी नहीं है।

8. बाईं करवट लेटें

खाने के बाद लेटने पर बाईं ओर करवट लें ।इससे पाचन बोहतर होता है और रिफल्क्स की संभावना कम हो जाती है।

9. भोजन के तुरंत बाद ना लेटें

खाना खाते ही लेटने की आदत छोड़ दें। खाने के बाद लेटने या बिस्तर पर जाने के बीच कम से कम तीन घंटे का अंतराल रखें।

10. खाना ठीक से चबाएं

खाना हमेशा धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाएं। प्रत्येक निवाले के बाद पूरा समय लेकर उसे चबाएं । एक बार पूरा निवाला चबाने और निगलने के बाद ही दूसरा निवाला उठाएं।

11. ज्यादा तेल मसाले वाला खाना ना खाएं

ऐसे खाद्य पदार्थों और पेय से बचें जो रिफ्लक्स को ट्रिगर करते हैं। सामान्य ट्रिगर्स में अल्कोहल, चॉकलेट, कैफीन, वसायुक्त खाद्य पदार्थ या पेपरमिंट शामिल हैं।

12. टाइट-फिटिंग कपड़ों से बचें

बहुत टाइट कपड़े पहनने से एसिड रिफ्लक्स की समस्या बढ़ सकती है। यह विशेष रूप से तंग बॉटम्स और बेल्ट के मामले में होता है। ये दोनों पेट पर अनावश्यक दबाव डालते हैं, जिससे आपके रिफ्लक्स का जोखिम बढ़ जाता है।अपने कपड़ों की फिचिंग ढीली रखने से आराम मिल सकता है

13. जड़ी बूटियों का उपयोग

जीईआरडी के प्रबंधन के लिए आप कुछ बर्ब्स का इअस्तेमाल चाय या काढ़े के रूप में कर सकते हैं जो रिफ्लक्स को कम करने में मदद कर सकती हैं।जैसे कैमोमाइल, लिकोरिस ,मार्शमैलो, स्लिपरी एल्म

इनके पूरक और टिंचर बाज़ार में आसानी से मिल जाते हैं ।इनकी चाय का सेवन भी किया जा सकता है।हालांकि जानकार मानते हैं कि जीईआरडी के लक्षणों को कम करने के लिए जड़ी-बूटियां एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका हो सकती हैं। इन्हें खरीदने से पहले यह जांच अवश्य कर लें कि विक्रेता विश्वस्नीय हो 

14. विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें

जीईआरडी अपने आप में बहुत तनावपूर्ण हो सकता है। चूंकि एसोफैगल मांसपेशियां पेट के एसिड को नीचे रखने में एक बड़ी भूमिका निभाती हैं, इसलिए यह ऐसी तकनीकों को सीखने में मदद कर सकती है जो आपके शरीर और दिमाग दोनों को आराम दे सकती हैं। इन मासपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए योग के अत्यधिक लाभ होते हैं।कई ऐसे आसान योगासन हैं जो आपके शरीर औऱ मन को शांच औऱ विश्राम की मुद्रा में ला सकते हैं। यदि आप बहुत अधिक योग करने में सक्षम नहीं हैं तो आप अपने तनाव के स्तर को कम करने के लिए दिन में कई बार कुछ मिनटों के लिए ध्यान यानी मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं।

15. आंवला रस का सेवन

आंवला रस का सेवन करने से आपको एसिडिटी और रिफ्लक्स की समस्या से राहत मिल सकती है। एक चम्मच आंवला रस को आधा कप पानी में मिलाकर रोज़ खाने के बाद औऱ सुबह खाली पेट पीने से आपको काफी राहत मिल सकती है। इसके सेवन से पहले आप अपने चिकित्सक से परामर्श लेना ना भूलें।

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