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Last Updated: Apr 01, 2019
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Stomach Cancer Symptoms, Treatment - पेट के कैंसर के लक्षण, उपचार

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Dr. Sanjeev Kumar SinghAyurvedic Doctor • 15 Years Exp.BAMS
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पेट का कैंसर या दूसरे शब्दों में कहे तो गैस्ट्रिक कैंसर, इसके कुछ असामान्य और घातक कोशिकाओं का समूह होता है, जो पेट के पार्ट में ढेर बना देता है. आमतौर पर यह पेट की आंतरिक परत में स्थित कोशिकाओं में विकसित होता है. साथ ही समय समय के साथ पेट की दीवार में फ़ैल जाता है. पेट का कैंसर, पेट की दीवार से आगे बढ़ कर जैसे जिगर, अग्नाश्य, ग्रासनली और आंतों के आस-पास के अंगों में फैलता है. आइए पेट के कैंसर के लक्षणों और इसके उपचार के बारे में जानें.

पेट के कैंसर का लक्षण
पेट के कैंसर की बात करें, तो इससे जुड़े ऐसे कई लक्षण होते हैं. यह अन्य कई प्रकार की गंभीर बीमारीयों से भी जुड़े होते हैं. इस कारण से पेट कैंसर को प्रारंभ में ही पहचान पाना कठिन होता है. कई कैंसर ग्रस्त मरीजों का निदान तब तक नहीं हो पाता, जब तक कैंसर पूरी तरह से विकसित ना हुआ हो. कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों में निम्न शामिल होते हैं -

  • भोजन करने के बाद एकदम से पेट फूलना महसूस होना है.
  • डिस्फेजिया (निगलने में कठिनाई) खाना खाने के बाद पेट का ज्यादा फूला हुआ महसूस होना है.
  • बार-बार डकार आना.
  • सीने में जलन महसूस होना.
  • खट्टी डकारें या अपचन जो ठीक नही हो पा रही हो.
  • पेट दर्द या छाती की हड्डी में दर्द का होना.
  • पेट में हवा भरना जैसा महसूस होना है.
  • उल्टी आना या कई बार उलटी में खून आना भी आ सकता है.


पेट के कैंसर का इलाज
पेट के कैंसर का इलाज कई कारणों पर निर्भर होता है. जैसे कैंसर की गंभीरता कितनी है, मरीज का स्वास्थ्य कैसा है और साथ ही रोगी की प्राथमिकताओं आदि का होना भी शामिल है. जबकि इसके इलाज की बात करें तो सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और दवाओं आदि के विकल्प उपलब्ध होते हैं.

सर्जरी
सर्जरी जिसे आम भाषा में शल्य चिकित्सा भी कहा जाता है. इसका उद्देश्य पेट के कैंसर को शरीर से बाहर निकालना होता है. जिससे स्वस्थ ऊतक क्षति होने से बच जाएं. जबकि सर्जरी के दौरान यह भी देखना होता है कि कोई कैंसर से ग्रस्त सेल शरीर में ना रह पाए. इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं –
एंडोस्कोपी म्यूकोसल रिसेक्शन - इसका उद्देश्य कैंसर के प्रारंभिक स्टेज में पेट से ट्यूमर को निकाल देना होता है. यह पेट की अंदरूनी परत में विकसित हो जाते हैं. जिसे सर्जरी करने वाला डॉक्टर एंडोस्कोपी की मदद से पेट में मौजूद बहुत छोटे ट्यूमर्स को शरीर से निकाल देता हैं.
सबटोटल गैस्ट्रेक्टॉमी – इस सर्जरी की मदद से पेट के कैंसर प्रभावित भाग को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है.
टोटल गैस्ट्रेक्टॉमी – इसमें सर्जरी की मदद से पूरे पेट को हटा दिया जाता है.

पेट से जुड़ी सर्जरी में सभी प्रक्रियाएं पेचीदा होती हैं, इन्हें ठीक होने में भी लंबा समय लगने की संभावना रहती हैं. सर्जरी होने के बाद रोगी को दो हफ्तों तक हॉस्पिटल में रहना पड़ सकता है. जिसके बाद मरीज को घर पर स्वस्थ होने के लिए कई हफ्तों तक आराम करने की जरूरत होती है.

रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी में उर्जा की किरणों की मदद से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है. रेडिएशन थेरेपी को पेट के कैंसर के इलाज के लिए सामान्य रूप से प्रयोग नहीं किया जाता क्योंकि इसमें आसपास के अन्य अंगों को हानि पहुंचने का खतरा बना रहता है. हालांकि, अगर पेट कैंसर विकसित हो चुका है या और अत्यधिक दर्द और खून बहने जैसे लक्षण दिखने लगे हैं तो ऐसे में रेडिएशन थेरेपी ही मुख्य विकल्प माना जाता है. रेडिएशन थेरेपी के दो प्रकार होते हैं जिनको इस्तेमाल किया जाता है –

निओएजुवेंट रेडिएशन – इस थेरेपी का प्रयोग सर्जरी करने से पहले किया जाता है. इससे होता यह है कि ट्यूमर्स छोटे हो जाते है ताकि सर्जरी के दौरान ट्यूमर्स को आसानी से निकाला जा सके.

एजुवेंट रेडिएशन – सर्जरी हो जाने के बाद इस थेरेपी का प्रयोग किया जाता है. अगर इसका प्रयोग रोगी के पेट में बची कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए किया जाता है.

कीमोथेरेपी
कीमोथेरेपी में कुछ ख़ास दवाइयों का उपयोग किया जाता है जो तेज़ी से बढ़ रही कैंसर कोशिकाओं को ख़त्म कर देती हैं. इन दवाइयों को साइटोटोक्सिक दवाओं के नाम से जाना जाता है. ये दवाइयां मरीज के शरीर में फैल जाती है और कैंसर के शुरू होने वाली जगह पर वार करती है. इसके साथ ही अगर कैंसर अन्य अंगों में फ़ैल गया है, तो उधर भी कैंसर कोशिकाओं को ख़तम करती हैं. कीमोथेरेपी के दो प्रकार होते हैं:-

निओएजुवेंट कीमोथेरेपी – इस थेरेपी का उपयोग सर्जरी से पहले करने पर ट्यूमर सिकुड़ जाता है. जिसके बाद सर्जरी की मदद से ट्यूमर को आसानी से निकाल लिया जाता है.

एजुवेंट कीमोथेरेपी – सर्जरी के बाद उपयोग की जाने वाला यह थेरेपी, पेट में बची हुई कैंसर सेल को खत्म करता है. गैस्ट्रिक लिम्फोमा, गैस्ट्रोइंटेस्टिनल स्ट्रोमल ट्यूमर और कुछ अन्य प्रकार के गैस्ट्रिक कैंसर के लिए कीमोथेरेपी को प्रमुख इलाज तरीका माना जाता है.

दवाएं
उदाहरण के लिए कुछ दवाइयां जैसे सूटेंट, ग्लिवेक आदि, गैस्ट्रोइंटेस्टिनल स्ट्रोमल ट्यूमर के रोगियों को दी जाती हैं. यह रोगी के शरीर में कैंसर की विशिष्ट असामान्यताओं पर अटैक करती हैं.

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